Rajasthan

किस्से-कहानियां: कभी कोटा राज दरबार में करते थे नौकरी, फिर सत्संग की ललक ने इस शख्स को बनाया बाबा बखशु राम

शक्ति सिंह/कोटा. सत्संग की महिमा को कलयुग में सबसे बड़ी बताया गया है. सत्संग करने मात्र से ही प्राणि भवसागर से पार उतरने की बात महान धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस में भी उल्लेखित है. सत्संग की और भगवत स्मरण की ऐसी ही सच्ची और चमत्कारी घटना घटी है कोटा के नांन्ता क्षेत्र में स्थित झारखंड महादेव मंदिर परिसर में. वैसे तो यहा कई समाधिया बनी हुई है लेकिन विशेष रूप से यहां दो समाधियों को जन आस्था का केंद्र माना जाता है.

पुजारी हिमांशु गौतम ने बताया कि यहां पर पहली बड़ी समाधि बाबा बख्शुराम एवं दूसरी उन्हीं के पुत्र बाबा दयाराम जी की है. मान्यता के अनुसार यह समाधिया बाबा बख्शुराम जी की जीवित समाधि है वही उनके पुत्र की भी समाधि बाद में यहां बनाई गई है. हिंडोली क्षेत्र के कचोला गांव में जन्म में बख्शुराम अपनी जवानी तक अपने घर के रोजमर्रा के कामकाजों में अपने परिवार का हाथ बटाया करते थे. लेकिन बाबा को धीरे-धीरे अपने भीतर सत्संग की ललक जागृत हुई. बाबा ने घर परिवार छोड़कर कोटा की ओर प्रस्थान किया. अपने जीवन यापन के लिए उन्होंने राज दरबार कोटा में एक छोटी सी नौकरी भी हासिल कर ली. लेकिन कहते हैं ना के जिन्हें ”ललक-सत्संग” की हो उन्हें और कोई वस्तु प्रिय नहीं होती.

देवीय शक्तियों को कर लिया अर्जित
बाबा भी एक तरफ तो दरबार के यहां नौकरी करते वहीं दूसरी ओर सत्संग के समय अंतर ध्यान होकर दूसरी देह में यहां पर सत्संग में भी उपस्थित रहते थे. बाबा का धाम नांन्ता स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर में आकर चित्त लगा यह स्थान वैसे भी जागृत महादेव स्वयंभू बाबा भोलेनाथ का झारखंड महादेव के नाम से प्रसिद्ध है. बाबा ने सत्संग करते-करते यहां पर अपने आध्यात्मिक भूख को शांत किया. वहीं धीरे-धीरे देवीय शक्तियों को भी अर्जित कर लिया.

श्रद्धालुओं ने बताया कि बाबा जब राजदरबार की नौकरी करते थे. तभी एक बार राजा ने उनकी परीक्षा ली और रानी की तबीयत खराब होने की बात कही, पर्दे के अंदर एक डोर बांध कर बाहर निकाल दी और कहा कि इसे देखकर बताएं क्या बीमारी है. तो बाबा ने बताया कि अंदर रानी नहीं है कोई जानवर बंधा हुआ है. इस डोरे से तो वही एक समय पहले बाबा चंबल नदी पार कर रहे थे. उन्होंने अपनी शॉल नदी के ऊपर रखी और बैठ गये और वह पूरी नदी पार कर गए. यह घटना रानी ने अपने महल से देखी थी. ऐसी ही कई चमत्कारिक घटनाएं हैं जो बाबा ने की. श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं माना जाता है कि उनकी मनोकामना पूरी भी होती है.

नोट: यह धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा मामला है. लोकल 18 ऐसी किसी भी बात की पुष्टि नहीं करता है यह सभी जानकारी पुजारी और स्थानीय लोगों की मान्यताओं पर आधारित है.

Tags: Dharma Aastha, Kota news, Local18

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