पैदा लेने से पहले पता चल जाएगा कि बच्चे का दिमाग कितना तेज होगा, Supar human बनाने पर जोर, विवाद भी कम नहीं

Embryos Screening for Baby IQ Test: इसे विज्ञान का करिश्मा कहिए या इंसान की जिद कि बच्चे अभी पैदा भी नहीं हुआ और उसका पूरा जन्म कुंडली निकल गया. ज्योतिष शास्त्र की बातों पर भले ही लोगों को यकीन कम हो लेकिन जब विज्ञान ऐसा करने लगे तो उसे क्या कहेंगे. अब ऐसा ही हो रहा है. एक अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी बच्चे पैदा करने वाले माता-पिता को यह ऑफर दे रही है कि प्रेग्नेंसी के दौरान ही उसके होने वाले बच्चे की बुद्धि कितनी होगी, इसके बारे में बता देंगे. प्रेग्नेंसी तो छोड़िए पेट में भ्रूण डालते समय ही कंपनी बच्चे की बुद्धि या आई क्यू बताने का दावा कर रही है. हालांकि यह काम वह चोरी छिपे कर रही हैं. ब्रिटिश न्यूज गार्जियन ने इसका भंडाफोड़ किया है. इसे लेकर आलोचनाएं भी शुरू हो गई है. एक्सपर्ट का मानना है ऐसा काम नैतिक मुद्दों को दरकिनार कर सकता है और इससे भविष्य में खतरा भी हो सकता है.
बीमारी से मुक्त, स्मार्ट और हेल्दी बच्चे की चाहतजो वीडियो सामने आई है उसमें हेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स कंपनी ने दावा किया है कि उसने IVF प्रक्रिया से गुजर रहे एक दर्जन से अधिक कपल के साथ इस तरह का काम कर रही है. खुफिया वीडियो के मुताबिक कंपनी इसके लिए 50 हजार डॉलर तक ग्राहकों से वसूल रही है. इसमें करीब 100 भ्रूणों के परीक्षण कराने के इच्छुक ग्राहक शामिल हैं. कंपनी का दावा है कि भ्रुण में मौजूद जीनों की जानकारी के आधार पर वह यह अनुमान लगा सकता है कि कौन से भ्रूण भविष्य में अधिक बुद्धिमान हो सकते हैं. कंपनी कपल के बीच गुप्त रूप से इसका प्रचार भी कर रही है. कंपनी के एक कर्मचारी तो बड़े गर्व से कह रहे थे कि हम 100 भ्रूणों के गुणों को रैंक कर सकते हैं. इसके लिए कपल तैयार है बल्कि वे इतने उत्सुक हैं कि वे इन रैंक के आधार पर अपने बच्चे का लिंग, हाईट, वजन, बुद्धि आदि जानना चाहते हैं. यहां तक कि यह भी जानना चाहते हैं कि बच्चे को कोई मानसिक बीमारी तो नहीं होगी.हेलियोस्पेक्ट के डेनमार्क स्थित सीईओ मिशेल क्रिस्टेनसेन कहती हैं कि हर कोई यह चाहता है कि उसके बच्चे को कोई बीमारी न हो, वह स्मार्ट हेल्दी और बुद्धिमान हो. अगर ऐसा होता है तो यह बहुत ही अच्छा है.
कैसे करते हैं ऐसी भविष्यवाणीहेलियोस्पेक्ट जीनोमिक्स भ्रूण के IQ को निर्धारित करने का दावा जीनों के अध्ययन के आधार पर कर रही है.यह दावा विज्ञान जीनोमिक्स और आनुवंशिकी पर आधारित है, जिसमें यह देखा जाता है कि कैसे विभिन्न जीन बुद्धिमत्ता को प्रभावित कर सकते हैं. इस तरह के काम लेबोरेटरी स्तर पर पहले से हो रहे हैं. दरअसल, जब आईवीएफ IVF प्रक्रिया से भ्रूण बनाए जाते हैं तो इसमें कई भ्रूण बनाए जाते हैं. सूक्ष्म परीक्षण से यह देखा जाता है भ्रूण में कौन-कौन से जीन मौजूद है. इन्हीं जींस में भविष्य छिपी होती है. मसलन कोई व्यक्ति कितना बुद्धिमान होगा या उसे कौन सी बीमारी होगी, यह विभिन्न तरह के जीन में अंकित होते हैं. शोध में यह पाया गया है कि कुछ विशेष जीन बुद्धिमत्ता से संबंधित हो सकते हैं. कंपनी इन जीनों का विश्लेषण करती है और उन भ्रूणों को पहचानने का प्रयास करती है जिनमें ये जीन मौजूद हैं. हेलियोस्पेक्ट कंपनी का दावा है कि इन जीनों की जानकारी के आधार पर यह अनुमान लगा सकती है कि कौन से भ्रूण भविष्य में अधिक बुद्धिमान हो सकते हैं.
बुद्धिमत्ता जटिल गुण, कई पहलुओं से निर्धारितकंपनी के इस दावे से दुनिया भर के एक्सपर्ट शंका जता रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि बुद्धिमत्ता एक जटिल गुण है जो कई कारकों पर निर्भर करता है. इसके लिए पर्यावरण, बच्चे की परवरिश, शिक्षा और सामाजिक अनुभव भी कारक है. केवल जीन का अध्ययन करने से यह पता नहीं लगाया जा सकता है कि बच्चे भविष्य में बहुत बुद्धिमान होंगे. बच्चों के चयन का यह तरीका कई नैतिक सवाल भी उठाता है. मसलन अगर कोई अपने बच्चे को स्मार्ट, बुद्धिमान बनाना चाहे और वह जीन न हो तो क्या उस भ्रूण को मार देगा. अगर जीन में एडिटिंग करने के बाद यह संभव है तो कोई ऐसा भी हो सकता है जो सुपरह्यूमन बच्चा कर लें, तब तो खतरनाक स्थिति आ सकती है.
नैतिकता का सवाल कहीं ज्यादाकैलिफ़ोर्निया के सेंटर फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की एसोसिएट डायरेक्टर केटी हैसन ने द गार्जियन को बताया कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि जब ऐसा होने लगेगा तो अच्छे जीन और बुरे जीन में से किसे चुनना है यह बहुत ही जटिल हो जाएगा क्योंकि जो किसी के लिए बुरा जीन है वह किसी के लिए अच्छा भी बन सकता है. ऐसे में इसे सामान्य बनाना मुश्किल होगा. फिर लोगों में यह भी धारणा बन जाएगी कि बच्चे को संस्कार देने में समाज का कोई योगदान नहीं है, यह सिर्फ जीन से निर्धारित होता है. इसलिए यह बेहद जटिल मामला है. ऐसे में यह तकनीक संभावित रूप से रोमांचक जरूर लगता है लेकिन इसके प्रभाव और नैतिकता पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यक है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 12:29 IST