Cultivate this powerful variety of radish in October you will become a millionaire within 2 months

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. खेती में नई-नई तकनीक आने के बाद सब्जियों की खेती में भी मुनाफा बढ़ने लगा है. कुछ सब्जियां ऐसी भी हैं जो बेहद कम वक्त में बढ़िया मुनाफा दे जाती हैं. टमाटर, धनिया, पालक और मूली जैसी सब्जियों की खेती से किसान रोजाना हजार रुपये से ज्यादा तक मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में अक्टूबर माह में की जाने वाली मूली की खेती को लेकर कृषि वैज्ञानिक ने वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के टिप्स दिए हैं जिससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
अब सब्जी उत्पादन से अच्छा पैसा कमाने के लिए किसान भी आधुनिक तकनीकों, उन्नत किस्मों और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार वैज्ञानिक खेती कर रहे हैं. इससे सब्जियों की क्वालिटी तो बेहतरीन रहती ही है साथ ही बाजार में काफी अच्छे दाम भी मिल जाते हैं. सरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित शिवकर गांव में किसान मूली सहित अन्य सब्जियों की खेती कर रहे है. किसानों को उनकी मेहनत का दाम भी अच्छा मिल जाता है.
कैसे की जाए खेतीमूली की खेती की सही तकनीक अपनाने से न केवल पैदावार अच्छी होती है, बल्कि बाजार में भी इसका अच्छा दाम मिलता है. इस समय मूली की खेती कैसे की जाए, इसके बारे में बाड़मेर उद्यानिकी विभाग के उप निदेशक बनवारीलाल ने लोकल 18 को विस्तार से जानकारी दी है, जिसमें खेत की तैयारी से लेकर, बुवाई, सिंचाई और फसल की देखभाल तक की पूरी जानकारी दी गई है. उपनिदेशक बनवारी लाल ने बताया कि मूली की उन्नत किस्मों में पूसा चेतकी, पूसा हिमानी, जापानी सफेद, पूसा रेशमी आदि शामिल हैं.
कम समय में अच्छी पैदावारउन्होंने कहा कि इसके अलावा वाइट आइसिकल, रैपिड रेड वाइट टिप्ड, पूसा मृदुला, पूसा देसी, जापानी सफेद, पूसा हिमानी, पूसा चेतकी, पालम ह्रदय, पूसा जमुनी, पूसा गुलाबी, पूसा श्वेता, पूसा रश्मि आदि शामिल हैं, जो कम समय में काफी अच्छी पैदावार देती है. अक्टूबर में मूली की खेती करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है. मूली की उन्नत प्रजाति पूसा रश्मि की जड़े 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती हैं और इसे तैयार होने में करीब 2 महीने का समय लगता है. मूली का इस्तेमाल सलाद के रूप में ज्यादातर किया जाता है और यह सेहत के लिए फायदेमंद भी है. यह शीर्ष में हरापन लिए सफेद होती है. वहीं, इसका स्वाद तीखा होता है. इसकी फसल 55 से 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. यह प्रति हेक्टेयर 315 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देने में सक्षम है.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2024, 11:21 IST