Rajasthan

इसे कहते है मेहनत…पत्थरीली जमीन पर उगा दिया कश्मीरी सेब जैसा बेर, अब लाखों रुपए की कर रहे कमाई

कृष्ण कुमार/नागौर : किसान को अन्नदाता कहा जाता है. किसान द्वारा तरह-तरह की फसलों की बुवाई की जाती है. नागौर के एक किसान के द्वारा बेर के वृक्षों की खेती की गई. किसान के द्वारा खेती की हुए 4 वर्ष से अधिक समय हो गया है . जी हां नागौर के किसान ने पत्थरीली जमीन जिससे केवल काले पत्थर निकलते है उस जमीन को मेहनत व जैविक विधि से खेती की.

नागौर के टांकला गांव के रहने वाले किसान रामचन्द्र प्रजापत के द्वार अपने पांच बीघा खेत मे बैर के वृक्ष का बागवान लगाया गया. किसान ने चार वर्ष पहले कृषि विशेषज्ञो तथा अन्य किसानों से सलाह लेकर इस खेती की शुरुआत की. रामचन्द्र बताते है कि जमीन पर अन्य फसलों की खेती करने मे दिक्कत आ रही थी तो बागवानी फसल की खेती करने की सोची ताकि आय का एक जरिया बन सके.

इस प्रकार की खेती
किसान रामचन्द्र प्रजापत बताते है कि जमीन पर सबसे पहले खुदाई करके पत्थर निकालकर उस पर गड्डे करके छ महीन के लिए खड्डों में बैर के वृक्ष नही लगाए. उसके बाद उन खड्डों में तालाब की मिट्टी व साफ मिट्टी लाकर डाला गया ताकि जमीन से निकलने वाली ऊदाई से छुटकारा पा सके. किसान ने बताया कि बैर के दो किस्मों की खेती की जिसमें गोला बैर तथा थाई एप्पल के बैर किस्म की खेती. पत्थरीली जमीन पर खेती को सक्सेस करने के लिए जैविक विधि का सहारा लिया गया. जिससे वहां पर खेती सक्सेस हो सके.

इस प्रकार पत्थरीली जमीन पर सक्सेस हुई खेती
बैर के वृक्ष को सक्सेस करने के लिए किसान के द्वारा बैर के वृक्षो का रोपण करते समय एक बराबर दूरी यानि 15 फीट की दूरी एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष के मध्य रखी. वही पौधो को जैविक खाद जो कुचेआ द्वारा बनाई गई हो उसको पौधो को दिया. वही बूंद बूंद सिंचाई पद्धति से किसान ने पानी दिया. जिसके बाद यह खेती यहां पर सक्सेस हुई. वही किसान ने बताया कि वर्तमान समय मे एक वृक्ष से पचास किलो के आसपास बैर प्राप्त हो जाते है.

लाखों मे आय प्राप्त करते है
किसान रामचन्द्र ने बताया कि यदि मौसम अनुकूल रहता है तो चार लाख रुपये तक आय प्राप्त हो जाती हैै. यदि मौसम थोड़़ा भी विपरित हो जाता है तो औसत 1 लाख से लेकर चार लाख रुपये के मध्य चार महीनों मे आय प्राप्त हो जाती है.

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