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OMG! राजस्थान से 119 टन अफीम गाजीपुर भेजी, अब डोडो का होगा हिसाब-किताब, जानें क्या है पूरा मामला

चित्तौड़गढ़. नारकोटिक्स विभाग चित्तौड़गढ़ की ओर से किसानों द्वारा पारंपरिक रूप से जिले और आसपास के इलाके से निकाली गई करीब 119 टन अफीम गाजीपुर स्थित अफीम फैक्ट्री भेज दी गई है. उसके बाद अब सीपीएस पद्धति के किसानों से डोडे खरीदने का कार्य शुरू कर दिया गया है. चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिले सहित आसपास के इलाकों में तीनों खंडों में सीपीएस पद्धति से अफीम खेती करने वाले 6049 किसान शामिल हैं. विभाग की ओर से प्रथम और द्वितीय खंड के किसानों के डोडे तोलने का कार्य शुरू कर दिया गया है.

नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी अमर सिंह ने बताया कि इसके तहत यहां पहले दिन 77 और दूसरे दिन 126 किसानों के डोडों का तौल किया गया है. इसी प्रकार चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर प्रथम खंड के 115 और द्वितीय खंड के 150 किसानों के डोडे तौले गए हैं. नारकोटिक्स विभाग की ओर से इस वर्ष प्रथम खंड में 2632, द्वितीय खंड में 1313 और तृतीय खंड में 2314 सीपीएस पद्धति के पट्टे जारी किए गए हैं.

सीसीटीवी कैमरों से होती है निगरानी
अमर सिंह ने बताया कि अफीम तौल केन्द्र पर किसानों के लिए नारकोटिक्स विभाग की ओर से छाया-पानी और कूलर आदि की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही सुरक्षा और निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. विभाग द्वारा अफीम डोडों का तोल पूरा कर उन्हें नीमच स्थित गोदाम में भेजा जाएगा. यह पूरा काम तेजी से चल रहा है.

अफीम गाजीपुर और नीमच भेजी जाती है
उल्लेखनीय है कि चित्तौड़गढ़ में चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा इलाके में पैदा हुई अफीम को एकत्र किया जाता है. इस अफीम को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित सरकारी फैक्ट्री में भेजा जाता है. जबकि अफीम बेल्ट के चित्तौड़गढ़ से सटे प्रतापगढ़ और निम्बाहेड़ा इलाके में होने वाली अफीम को एकत्र कर मध्य प्रदेश की नीमच स्थित सरकारी फैक्ट्री में भेजा जाता है. वहां इसे दवाएं बनाने के उपयोग में लिया जाता है.

किसानों को सरकारी पट्टे जारी किए जाते हैं
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले के अलावा भीलवाड़ा के कुछ इलाकों में अफीम की खेती होती है. इसके लिए किसानों को सरकारी पट्टे जारी किए जाते हैं. अफीम की फसल पर नारकोटिक्स विभाग कड़ी नजर रखता है. किसान अफीम का उत्पादन कर नारकोटिक्स विभाग को ही बेचते हैं. अफीम की यह खरीद निश्चित सरकारी दर पर खरीदी जाती है. लेकिन बाहर इसके सरकारी दर से कई गुना भाव मिलता है. इसलिए अफीम और इसके सह उत्पादों डोडा पोस्त आदि की जमकर तस्करी होती है.

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