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यह कोई मिठाई और आइसक्रीम नहीं, बल्कि नहाने का है साबुन, घर की रसोई में पड़ी चीजों से बने डिजाइनर साबुन

निखिल स्वामी/बीकानेर. आमतौर पर आपने गोल और वर्ग आकार का साबुन देखा होगा, लेकिन कभी आपने आइसक्रीम, कुल्फी और मिठाई की तरह बना साबुन देखे हैं. अगर नहीं देखें हैं तो आज हम आपको ऐसे साबुन दिखाते है जो अलग-अलग डिजाइन में बने हैं. इनको देखकर आपको लगेगा कि यह साबुन नहीं है, लेकिन यह साबुन ही है. यह साबुन बनाई है बीकानेर की हिमांशी ने. यह बिना केमिकल के साबुन बनाती है और घर की रसोई में पड़ी चीजों से साबुन बना रही है. इस साबुन की बाजार में काफी डिमांड है. हिमांशी इन साबुन से अच्छा बिजनेस भी कर रही है.

हिमांशी ने बताया कि वह साबुन करीब पांच साल से बना रही है. यह साबुन 60 रुपए से लेकर 350 रुपए तक बेची जाती है. पुराने जमाने में घरों में जिन चीजों से साबुन बनते आ रहे थे, उनको मॉडर्न साइंस से जोड़कर बना दिया है. टीवी में एड देखकर उन साबुन को खरीदने लगे है. लेकिन हमारे घरों में साबुन बनते थे वो सबसे अच्छे थे. वो शुद्ध तेलों से बने हुए होते थे. आजकल बाजार में जो भी साबुन आ रहे है उनमें केमिकल्स ज्यादा होते है. जबकि यह जो मैंने साबुन बनाए है वो एकदम शुद्ध तेलों से बने हुए है. इस साबुन को लगाने से त्वचा भी सूखी नहीं रहती है. इस साबुन को साधारण तापमान पर काम किया है. इसको बनाने के लिए किसी भी तरह से गर्म नहीं किया गया है.

अलग-अलग डिजाइन के बना रही साबुन
वह बताती है कि वह अलग-अलग डिजाइन की साबुन बना रही है. इनमें मिठाई से लेकर आइसक्रीम तक की डिजाइन का साबुन है. इनमें मिठाई में कतली के आकार का साबुन, अलग-अलग आइसक्रीम के आकर के साबुन, चॉकलेट, कुल्फी, तितली की डिजाइन के साबुन बनाए हैं. साबुन बनाने में रसोई में पड़ी सभी चीजे उपयोग में आती है. इनमें चावल, बेसन, हल्दी, बादाम के अलावा सभी तरह के फ्रूट्स और सभी तरह की सब्जी का उपयोग किया गया है. एक साबुन को बनाने में 45 दिन का समय लगता है. आजतक आपने खुशबू वाले साबुन का उपयोग किया है, लेकिन मैंने साबुन में केमिकल्स का उपयोग न करके नेचुरल चीजे डालकर साबुन बनाए है. बाजार में जो साबुन मिलते है वो पाम ऑयल और पशु चर्बी से बने होते है, लेकिन मैंने नारियल के तेल, अरंडी के तेल, जैतून के तेल, बादाम के तेल से साबुन बनाते है. इससे त्वचा को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है.

पहले घर के लिए बनाते थे साबुन
हिमांशी बताती है कि उन्होंने घर में ही साबुन बनते हुए देखा. फिर खुद का कुछ करना था तो मेरी बहन में मुझे हौसला दिया कि साबुन बनाने का काम शुरू कर और नई-नई डिजाइन बनाकर मार्केट में बेच. पहले परिवार के लोग अपने घर के लिए साबुन बनाते थे, लेकिन बिजनेस के तरीके से साबुन का काम पहले नहीं किया था, लेकिन अब मैं यह साबुन बनाने का बिजनेस कर रही हूं.

Tags: Bikaner news, Local18, Rajasthan news

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