जिला कलेक्टर की ये किताब अर्थशास्त्र को बनाती है आसान, UPSC वालों के लिए है उपयोगी, बेस्ट सेलर था पहला एडिशन

कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर: कहते हैं कि इंसान ठान ले तो फिर कोई भी काम कठिन नहीं है. इसका एक उदाहरण जोधपुर के जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल हैं. एक तरफ जब बड़ा अधिकारी बनने के बाद लोगों को अपने काम से फुर्सत नहीं मिलती वहीं गौरव ने अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते हुए भी किताब लिखने का समय निकाला. इससे पहले भी गौरव किताब लिख चुके हैं. अर्थशास्त्र में गहरी रुचि होने के कारण गौरव ने “भारत की अर्थ व्यवस्था” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर दूसरी पुस्तक पेश की है.
यह किताब यूपीएससी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है. इसमें फंडामेंटल जानकारी के साथ चित्रों और उदाहरण के जरिए देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था से जुड़े पहलुओं को शामिल किया गया है. इसके साथ ही इसमें रिजर्व बैंक आफ इंडिया की फंक्शनिंग का भी उल्लेख किया गया है. “भारत की अर्थव्यवस्था” नामक पुस्तक के प्रकाशन के बाद गौरव अग्रवाल ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को पहली प्रति भेंट की.
गौरव अग्रवाल ने बताया कि अर्थशास्त्र शुरू से ही उनका पसंदीदा विषय रहा और इस विषय में हमेशा से अच्छी क्वालिटी की पुस्तक की जरूरत महसूस की जा रही थी. ऐसे में वह प्रशानिक दायित्व निभाते हुए बीच-बीच में समय निकालकर कोशिश करते गए और पुस्तक का दूसरा एडिशन यूपीएससी के विद्यार्थियों की मदद के लिए तैयार हो गया.
आईएएस की तैयारी में मिलेगी मददकलेक्टर ने कहा, “यह मेरा सब्जेक्ट रहा है. मैं अपने विद्यार्थी समय से इसकी तैयारी कर रहा था. धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था और अर्थशास्त्र के प्रति प्रेम डेवलप हुआ तभी से मैं इसमें रूचि रखता था. समय के साथ इस विषय पर पुस्तक लिखने का मन हुआ. कई विषयों में अच्छी पुस्तकें हैं लेकिन, अर्थ शास्त्र में इस प्रकार की कोई पुस्तक नही थी. एक पब्लिशर ने एप्रोच किया तो सोचा कि प्रयास किया जाए और ऐसी पुस्तक लिखूं जो बच्चों के लिए आने वाले वर्षों के लिए मील का पत्थर साबित हो और उनको तैयारी करने में भी मदद मिल सके.
एमजॉन पर बनी फर्स्ट सेलरकलेक्टर ने बताया कि उनकी पुस्तक का यह सेकेंड एडिशन है. पहला एडिशन एमाज़ॉन पर फर्स्ट सेलर बना. पाठकों ने खूब सराहना की. उन्होंने किबात में फंडामेंटल जानकारी को दुनिया में क्या चल रहा है उसका उदाहरण देते हुए समझाया है.
उदाहरण से कुछ इस तरह समझायाएक कहानी सुनी होगी खरगोश और कछुआ वाली. इस रेस में कछुआ क्यों जीतता है क्योंकि वह थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ता रहता है. उन्होंने कहा, “इस किताब को भी मैंने खरगोश की तरह नहीं बल्कि कच्छुआ की तरह लिखी है. प्रतिदिन कभी एक घंटा, कभी आधा घंटा करते-करते मैंने यह पुस्तक लिखी. यह किताब लिखना मेरे लिए सुखद अनुभव रहा है. सब्जेक्ट के प्रति जो मेरा प्रेम है उसको मैंने इस किताब के अंदर उतारा है.”
उन्होंने बताया कि अच्छे चित्रों के माध्यम से कॉन्सेप्ट को समझाया गया है. इसमें गणित बिल्कुल नहीं रखी गई है. किताब ऐसे व्यक्ति के लिए है जिसका इकोनॉमिक्स का कोई बैकग्राउंड नहीं है और न ही उसको इसमें इंटरेस्ट है.
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FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 18:31 IST