दो दिन, 27 पंडाल और हजारों भक्त, काग्राम का जगराता उत्सव बना अद्भुत परंपरा का संगम

मुर्शिदाबाद जिले में हर साल जगराता पूजा का आयोजन बड़े ही धूमधाम से होता है. इस वर्ष भी रविवार और सोमवार के दो दिनों में यह विशेष पूजा संपन्न हुई. सालार क्षेत्र के काग्राम गांव में कुल 27 जगराता पंडालों में पूजा का आयोजन हुआ, जिसमें पूरे गांव के लोग उत्साह से भाग लेने पहुंचे. पूजा के दौरान विभिन्न वाद्य यंत्र बजाने वाले कलाकारों ने ढोल-नगाड़े, ताशा और अन्य पारंपरिक बाजों के साथ पूरे गांव का भ्रमण किया, जिसे यहां “दोपहर मातन” के नाम से जाना जाता है.
गांवभर में उत्सव का जश्नपूजा के इन खास दिनों में सभी पंडालों का दौरा करने के लिए लोगों का समूह बनता है और वे सामूहिक रूप से उत्सव में शामिल होते हैं. इस दिन आठ से अस्सी साल की उम्र के लोग मिलकर एकजुटता और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं. रविवार की शाम से लेकर सोमवार की शाम तक विभिन्न पंडालों में जाकर बाजों की गूंज के साथ लोग खुशी मनाते हैं. हर ओर लोग संगीत और धुन पर झूमते नजर आते हैं, जबकि सड़कों के दोनों ओर स्थानीय लोगों का सैलाब उमड़ता है. कलाकारों द्वारा पंडालों और पारिवारिक पूजा आयोजनों से धनराशि एकत्र की जाती है, जो उनके लिए आर्थिक सहायता का भी एक जरिया है. हर पंडाल में इस प्रकार का संगीत प्रदर्शन किया जाता है.
वादकों का योगदान और खुशियांवादकों का कहना है कि लोग उन्हें बाजा बजाने के लिए धनराशि देते हैं, जिसमें कुछ लोग पांच हजार रुपये तक देते हैं और कुछ एक हजार रुपये तक का योगदान करते हैं. जो भी धनराशि प्राप्त होती है, उसे समूह के सदस्यों में बांट दिया जाता है. इन पैसों से वे अपने परिवार की जरूरतें पूरी करते हैं, जिससे परिवार में खुशियां बिखेरने का अवसर मिलता है. मुर्शिदाबाद के अलावा पूर्वी बर्दवान जिले से भी कई वादक इस अवसर पर आकर यहां बाजे बजाने में भाग लेते हैं.
बंगाली समाज में जगराता का महत्वकाली पूजा के बाद बंगाली समाज के एक बड़े हिस्से के लिए जगराता पूजा का विशेष महत्व है. मुख्य रूप से कृष्णनगर और चंदननगर में यह पूजा बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह उत्सव राज्य के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हुआ है. सालार का काग्राम इस पूजा में विशेष स्थान रखता है और यहां हर साल जगराता पूजा देखने के लिए भारी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं.
काग्राम की विशेष सजावट और प्रदर्शनकाग्राम के एक छोर से दूसरे छोर तक कलाकारों का दल पारंपरिक वाद्य यंत्र, जैसे ढोल, नगाड़े, ताशा और अघोरी नृत्य आदि का प्रदर्शन करता है, जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. मुर्शिदाबाद जिले का काग्राम जगराता पूजा का प्रमुख आकर्षण है, जिसमें पारंपरिक वाद्यों की धुनें और रंगीन सजावट इस पूजा को और खास बना देते हैं.
Tags: Local18, Special Project, West bengal
FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 11:46 IST