थार के रेगिस्तान में गरजे टैंक, उड़ते हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों ने दिखाया दम, ‘सेंटिनल स्ट्राइक’ में सेना का पराक्रम

Last Updated:October 31, 2025, 10:50 IST
Bikaner Integrated Fire and Maneuver Exercise: बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना ने ‘सेंटिनल स्ट्राइक’ नामक इंटीग्रेटेड फायर एंड मैन्यूवर एक्सरसाइज में अपनी ताकत का अद्भुत प्रदर्शन किया. दक्षिण पश्चिमी कमान की इस अभ्यास में T-72 टैंक, BMP-2 कॉम्बैट व्हीकल, 130 मिमी गन और स्वदेशी ड्रोन शामिल हुए. सेना ने मल्टी-डोमेन वॉरफेयर के तहत ग्राउंड, एयर और डिजिटल फोर्सेस का समन्वित उपयोग दिखाया. रिपोर्ट- भवानी सिंह/ विक्रम जागरवाल
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय सेना का जोश हाई है. भारतीय सेना रेगिस्तान से लेकर सर क्रीक तक अपनी तैयारी को धार देने के लिए लगातार युद्धाभ्यास कर रहे हैं. भारत की तीनों सेनाओं ने पाकिस्तान सीमा पर ‘त्रिशूल’ सैन्य अभ्यास शुरू किया है. उसी को आगे बढ़ाते हुए बीकानेर के विशाल थार रेगिस्तान में बसे महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना के अलग-अलग रेजिमेंट से आए सैनिकों ने अपनी ट्रेनिंग का ऐसा दमखम दिखाया कि रेत की हर दाना युद्ध की गूंज से थर्रा उठा. दक्षिण पश्चिमी कमान के तहत आयोजित ‘सेंटिनल स्ट्राइक’ नामक इंटीग्रेटेड फायर एंड मैन्यूवर एक्सरसाइज में सेना ने डिफेंसिव पोजीशन अपनाते हुए काल्पनिक दुश्मन को स्वदेशी हथियारों से पूरी तरह नेस्तनाबूद करने का जीवंत प्रदर्शन किया.

यह अभ्यास न केवल आधुनिक युद्ध की क्षमताओं का प्रमाण था, बल्कि मई 2025 के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की यादें भी ताजा कर गया. जब भारत ने पाकिस्तान के बहावलपुर से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी ठिकानों को ब्रह्मोस मिसाइलों से ध्वस्त किया था.एक्सरसाइज 28 अक्टूबर से शुरू होकर 30 अक्टूबर को संपन्न हुई, जिसमें दक्षिण पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मंजिंदर सिंह ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ मौजूद रहे. लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने जवानों की तैयारी, पेशेवर उत्कृष्टता और समन्वय की सराहना की.

दक्षिण पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मंजिंदर सिंह ने कहा कि भारतीय सेना की ताकत केवल उसके हथियारों में नहीं, बल्कि उसके प्रशिक्षण, अनुशासन और टीम वर्क में है. महाजन की रेत में जो आग और जोश दिखाई दे रहा है, वही हमारी सीमाओं की रक्षा की सबसे बड़ी गारंटी है. इस अभ्यास का खास आकर्षण ड्रोन-आधारित इंटेलिजेंस और स्ट्राइक था. ड्रोनों ने दुश्मन के ठिकानों की टोह ली और उन्हें सटीक निशाने पर मार्क किया, ठीक वैसे ही जैसे ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर के JeM हेडक्वार्टर मौलाना मसूद अजहर का गढ़ को निशाना बनाया गया था.

थलसेना ने मल्टी-डोमेन वॉरफेयर का प्रदर्शन किया. जहां ग्राउंड, एयर और डिजिटल वेक्टर्स एक साथ काम किए. T-72 टैंकों ने हवा और जमीन दोनों पर टारगेट हिट किए, BMP-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल ने रेत पर गरजते हुए दुश्मन चौकियों को कुचला, जबकि 130 मिमी मीडियम गन ने लंबी दूरी से आग की बौछार की. WSI सिस्टम ने सभी प्लेटफॉर्म्स को एकीकृत कमांड से जोड़ा, जिससे सटीक फायरिंग सुनिश्चित हुई.

डिजिटल फायरिंग सिस्टम ने दुश्मन ठिकानों पर वर्चुअल टारगेट सेट कर लाइव फायरिंग की, जबकि लॉइटरिंग म्यूनिशन्स और स्वार्म ड्रोनों ने काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम ग्रिड का टेस्ट लिया. हेलीकॉप्टरों ने एरियल सपोर्ट दिया और आर्टिलरी ने कैनन डिलीवरी से सप्लाई लाइन कट की. बीकानेर के विशाल थार रेगिस्तान में बसे महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में रेत पर BMP-2 की गर्जना, T-72 का प्रहार और 130 मिमी गन से बरसीं आग की लपटों की गूंज यही कह रही थीं कि भारत की सीमाएं सुरक्षित हाथों में हैं.

यह एक्सरसाइज महज फायरिंग डेमोंस्ट्रेशन नहीं, बल्कि आधुनिक युद्धक रणनीति, इंटर-आर्म्स समन्वय और सटीक मारक क्षमता का जीवंत उदाहरण थी. सेना की विभिन्न शाखाओं आर्मर्ड, इन्फैंट्री, आर्टिलरी, एविएशन ने एकजुट होकर हथियारों, वाहनों और तोपखाने का समन्वित उपयोग किया. भारतीय सेना की बीएमपी-2 इंफेंट्री कॉमबेट व्हीकल जो युद्धक्षेत्र में पैदल सैनिकों को कवच सुरक्षा प्रदान करता है और चलती स्थिति में भी फायरिंग करने में सक्षम है.

मल्टी-डोमेन वॉरफेयर का जीवंत प्रदर्शन देखने को मिला. मैकेनाइज्ड फोर्सेस ने आक्रामक जमीनी कार्रवाई की, जबकि आर्टिलरी ने घातक गोला-बारूद से लक्ष्य ध्वस्त किए. अटैक हेलीकॉप्टरों ने हवा से सटीक स्ट्राइक की. ड्रोनों ने रियल-टाइम निगरानी और टारगेट डेजिग्नेशन प्रदान किया. वेपन सिस्टम इंटीग्रेशन (डब्ल्यूएसआई) ने सभी प्लेटफॉर्म्स को डिजिटल कमांड से जोड़कर त्वरित निर्णय सुनिश्चित किया.

T-72 टैंक भारतीय सेना की आर्मर्ड रेजीमेंट का गर्व है. जिसने दुश्मन की काल्पनिक पोजीशन पर सटीक फायरिंग कर अपनी घातक क्षमता का प्रदर्शन किया. इसके अलावा 130 मिमी मीडियम गन ने लंबी दूरी से लक्ष्यों को नेस्तनाबूद करने की सटीकता दिखाई, यह भारतीय तोपखाने की रीढ़ मानी जाती है. WSI सिस्टम ने कमांड और कंट्रोल की आधुनिक तकनीक से अलग-अलग यूनिट्स को जोड़कर एकीकृत ऑपरेशन की झलक दी.
First Published :
October 31, 2025, 10:48 IST
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थार की रेत में गूंजी तोपों की गर्जना, भारतीय सेना ने सेंटिनल स्ट्राइक में दिखा



