Rajasthan

Teacher couples way of teaching is quite unique private school children take admission here

रिपोर्ट: जुगल कलाल

डूंगरपुर. डूंगरपुर जिले में सरकारी योजनाओं की सोच से कहीं आगे चलने वाला राजकीय प्राथमिक स्कूल भिलवटा इन दिनों सुर्खियों में है. स्कूल के शिक्षक दंपति का पढ़ाने का तरीका अलग पहचान रखता है. प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी टीसी लेकर इस अनोखे स्कूल में एडमिशन ले रहे हैं. इसके पीछे की वज़ह शिक्षक दंपति के पढ़ाने का तरीका है.

डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर ऊंचे पहाड़ पर बने राजकीय प्राथमिक विद्यालय भिलवटा में साल 2013 तक महज़ 15 बच्चें इस स्कूल पढ़ते थे. लेकिन, साल 2013 में दीपक पांड्या और उनकी पत्नी दीपिका पंड्या की नियुक्ति इस स्कूल में हुई. तब से नामांकन बढ़ाने ओर क्षेत्र के बच्चो को स्कूल की तरफ आकर्षित करने के लिए शिक्षक दंपति ने एक नवाचार किया. शिक्षक दीपक और उनकी पत्नी दीपिका ने चाइल्ड साइकॉलोजी के हिसाब से पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए खुद ही रिसर्च किया. कक्षा 5 तक के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ना शुरू कर दिया. इस नवाचार के लिए जो खर्च हुआ वह भी शिक्षक दंपति ने खुद वहन किया.

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मात्र 15 छात्रों से हुई थी शुरुआत
शिक्षक दीपक पांड्या बताते है कि जब इस स्कूल में ज्वाइन किया. तब यहां पर काफी कम बच्चे थे और स्कूल का भवन तक नहीं था. इसके बाद उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपने घर से दरी पट्टी लाकर आंगनबाड़ी कें बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए गावों वालों के साथ बैठक किया और घर-घर जाकर बच्चों स्कूल भजने का आग्रह किया. आज आलम यह है कि, 15 बच्चों से इस स्कूल नामांकन 85 तक पहुंच चुका है.

प्राइवेट स्कूलों के छात्र भी ले रहे दाखिला
खेल-खेल में पढ़ाई से बच्चों को जल्दी समझ में आ जाता है, जिसके चलते भिलवटा स्कूल के बच्चों का शैक्षिक स्तर भी अन्य सरकारी स्कूल के बच्चो से अच्छा है. परिस्थितियां अब इस कदर बदल चुकी हैं कि अन्य स्कूलों के छात्र भी टीसी लेकर भिलवटा स्कूल में दाखिला लेने आते हैं. यहां गणित, विज्ञान सहित सभी विषय सहायक सामग्री के साथ पढ़ाए जाते हैं. जो बच्चो को आसानी से समझ में आ जाता है.

महापुरुषों के नाम से होती है हाजरी
भिलवटा स्कूल में छात्रों को पढाई के साथ संस्कार ओर सामाजिक जीवन की अच्छी बात भी सिखाई जाती हैं. जब बच्चों की स्कूल में हाजरी होती है तब बच्चें यस मैम, या यस सर नहीं बोलते बल्कि अलग-अलग महापुरषों का नाम बोलते हैं. हर सप्ताह बच्चों अलग- अलग महा पुरुषों का नाम दिया जाता है.

छात्रों के जीवन में फैला रहे है उजाला
डूंगरपुर जिले की भिलवटा स्कूल के शिक्षक दंपती दीपक और दीपिका ग्रामीण क्षेत्र के इन गरीब बच्चों के जीवन में दीपक की तरह उजियारा फैला रहे है और पढाई के साथ उन्हें अच्छा इंसान बनाने की दिशा में काम कर रहे है. कान्वेंट स्कूलों की चकाचौंध से काफी दूर आभावों में सरकारी शिक्षा को सम्बल देने निकले इन शिक्षक दंपति के प्रयास भविष्य सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है.

Tags: Dungarpur news, Rajasthan news in hindi

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