हिजाब पहनकर कॉलेज न आएं… टीचर को पसंद नहीं आया यह आदेश, पहले क्लास में जाना किया बंद और फिर…

कोलकाता. कर्नाटक में हिजाब विवाद तो थम गया है पर इस पर यह पश्चिम बंगाल में सामने आया है. यहां पर इस हिजाब विवाद पर राजनीति शुरू हो गई है. बंगाल सरकार में मंत्री ने इसके पीछे बीजेपी और संघ के हाथ होने का आरोप लगाया है. कर्नाटक में यह हिजाब विवाद स्कूल की बच्चियों के साथ सामने आया था पर कोलकाता में इस बार एक कॉलेज की टीचर को इसका सामान करना पड़ा है. महिला टीचर ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन कॉलेज प्रशासन ने कहा है कि वह जल्द से फिर ज्वाइनिंग करेंगी.
बताया जा रहा है कि कलकत्ता यूनिवर्सिटी से जुड़े एक लॉ कॉलेज की टीचर को वहां के अफसरों ने ऑफिस में हिजाब पहनने से मना करने के बाद से पहले उन्होंने क्लास में जाना बंद कर दिया. इसके बाद महिला टीचर ने इस्तीफा दे दिया. जब यह मामला सामने आया तो इसका विरोध शुरू हुआ तो कॉलेज प्रशासन ने दावा किया कि यह बातचीत न करने के कारण हुआ है और वह अपना इस्तीफा वापस लेने के बाद मंगलवार को काम पर लौट जाएंगी.
एलजेडी लॉ कॉलेज में पिछले तीन साल से बच्चों को पढ़ाने वाली संजीदा कादर ने पांच जून को इस्तीफा दे दिया था. उनका आरोप था कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें 31 मई के बाद कॉलेज में हिजाब न पहनने का निर्देश दिया था. उन्होंने कॉलेज प्रशासन के आदेश ने मेरे मूल्यों और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. महिला टीचर का साथ देते हुए पश्चिम बंगाल के मंत्री और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने कहा कि कॉलेज प्रशासन को उनसे (महिला टीचर से) माफी मांगनी चाहिए.
मुस्लिम नेता ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या कॉलेज के अधिकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम कर रहे हैं. मंत्री ने आरोप लगाया कि कॉलेज का मैनेजमेंट स्टूडेंटर्स को पीछे ले जाने वाले मूल्यों को भर रहा है और उन्हें एक टीचर के हिजाब पहनने के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहा है.
चौधरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि एक लॉ की पढ़ाई कराने वाला कॉलेज मैनेजमेंट इस तरह का फरमान कैसे जारी कर सकता है? ध्यान रहे कि ऐसे संस्थान में बच्चों से संविधान और कानूनों के बारे में सीखने की उम्मीद की जाती है… हमने सुना है कि उन्हें सिख पुरुषों के पगड़ी पहनने और महिलाओं के सिर पर दुपट्टा बांधने पर कोई आपत्ति नहीं है. फिर वह मुसलमानों को क्यों निशाना बना रहे हैं?’
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मैं कानून मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाऊंगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि हिजाब पहनने के कारण एक महिला को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करने वाले संबंधित संस्थान के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की जा सकती है. संजीदा मार्च-अप्रैल से कार्यस्थल पर हिजाब पहन रही थीं और पिछले हफ्ते इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया. सूत्रों ने कहा कि संजीदा के इस्तीफे की बात सार्वजनिक होने के बाद संस्थान के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया और कहा कि यह महज संवादहीनता के कारण हुआ. सूत्रों के अनुसार उन्होंने स्पष्ट किया कि कार्यस्थल पर काम के समय कभी भी उन्हें सिर को कपड़े से ढकने से नहीं रोका गया था.
संजीदा ने कहा कि मुझे सोमवार को कार्यालय से एक ईमेल मिला. मैं अपने अगले कदमों के बारे में विचार करूंगी और फिर फैसला करूंगी, लेकिन मैं मंगलवार को कॉलेज नहीं जाऊंगी. ईमेल में कहा गया था कि सभी संकाय सदस्यों के लिए ड्रेस कोड (जिसकी समय-समय पर समीक्षा और मूल्यांकन किया जाता है) के अनुसार वह कक्षाओं में पढ़ाते समय अपने सिर को ढकने के लिए दुपट्टा या स्कार्फ का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं.
कॉलेज प्रशासन के प्रमुख गोपाल दास ने को बताया कि कोई निर्देश या निषेध नहीं था और कॉलेज के अधिकारी सभी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं. वह मंगलवार को फिर से कक्षाओं में पढ़ाना शुरू करेंगी. कोई गलतफहमी नहीं है. हमने उनके साथ लंबी चर्चा की. शुरुआती घटनाक्रम कुछ संवादहीनता के कारण हुआ.
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FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 13:51 IST