जयपुर से भी पुराना है ठाकुरजी का मंदिर, यहां ओडिशा की राजकुमारी के साथ विराजमान हैं कृष्ण

जयपुर. जयपुर अपनी ऐतिहासिक इमारतों, भवनों, महलों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. यहां की हर गली मोहल्ले में एक न एक प्राचीन मंदिर जरूर मिलेगा. कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जो जयपुर बसने के पहले से बने हैं. इन्हीं में से एक है कृष्ण मंदिर. इस मंदिर की बड़ी रोचक कथा है.
जयपुर के चौड़ा रास्ता में ठाकुर जी श्री मदन गोपाल मंदिर है. कहते हैं ये 16 ईसवी का है. इसमें में भगवान कृष्ण के साथ राधा रानी और उनकी सखी ललिता विराजमान हैं. मंदिर का विशेष उल्लेख सेवा प्रकाट्द्य और इष्ट लाम नामक प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थ में है.
वर्षों पुराना इतिहासइस मंदिर के पुजारी पंडित विजय देव गोस्वामी बताते हैं उनका परिवार आठ पीढ़ी से इस मंदिर में ठाकुर जी की पूजा करता आ रहा है. जयपुर के राजा जयसिंह वृंदावन से ठाकुर जी को यहां लेकर आए थे. उड़ीसा के राजा प्रताप रुद्र के पुत्र श्री पुरुषोत्तम जाना को सपने में दिखा कि ठाकुर जी विहिन अवस्था में विराजमान हैं तो उन्होंने ठाकुर जी के साथ प्राण प्रतिष्ठा के लिए राधा रानी और ज्येष्ठ सखी ललिता की अष्टधातु की विग्रह वृन्दावन भेजी. वहीं से दोनों मूर्तियां लाकर जयपुर के इस मंदिर में स्थापित की गयीं.
भगवान कृष्ण का अनोखा रूपइस मंदिर में स्थापित कृष्ण की मूर्ति अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है. पुजारी बताते हैं यह शिखर वन मंदिर है. यहां गोड़िया सम्प्रदाय के अनुसार पूजा की जाती है. साथ ही मंदिर में समय समय पर बड़े कार्यक्रम और भजन उत्सव होते हैं. इसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक यहां सबसे ज्यादा आते हैं. भक्तों के लिए यह मंदिर सुबह-शाम खुला रहता है.
FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 16:19 IST