गुप्तकालीन मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध भरतपुर का अद्भुत दाऊजी मंदिर, धार्मिक आस्था और भारतीय कला का संगम
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भरतपुर/रूपवास: भरतपुर के रूपवास में स्थित दाऊजी का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि भारतीय इतिहास और कला का अद्वितीय उदाहरण भी है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में गुप्तकालीन मूर्तियां स्थापित हैं, जो अपनी भव्यता और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध हैं. खास बात यह है कि ये मूर्तियां जमीन पर लेटी हुई अवस्था में हैं, जिससे उनकी अनोखापन और बढ़ जाता है.
भगवान बलदाऊ, विष्णु, लक्ष्मी और पांडवों की 20-25 फीट लंबी मूर्तियांमंदिर के पुजारी के अनुसार, यहां बलदाऊ, विष्णु, लक्ष्मी और पांडवों की मूर्तियां हैं, जिनकी लंबाई 20 से 25 फीट के बीच है. भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ की मूर्ति उनकी वीरता और शक्ति का प्रतीक है, वहीं विष्णु की मूर्ति उनके विभिन्न अवतारों का प्रतिनिधित्व करती है. लक्ष्मी की मूर्ति समृद्धि और भाग्य का प्रतीक मानी जाती है, जबकि पांडवों की मूर्तियां महाभारत के महान पात्रों की याद दिलाती हैं.
गुप्तकालीन शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरणपुजारी के अनुसार, ये मूर्तियां गुप्तकाल की शिल्प कला और धार्मिक आस्था का उत्कृष्ट उदाहरण हैं. मंदिर के बाहर लगे एक शिलालेख में इन मूर्तियों का गुप्तकाल से संबंध बताया गया है, जो उन्हें पुरातात्विक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है. हालाँकि, इन मूर्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है, पर शिलालेख के अनुसार इन्हें गुप्तकालीन मूर्तियों के रूप में चिन्हित किया गया है.
आस्था और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्रदाऊजी मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थ स्थल है बल्कि इतिहास और कला प्रेमियों के लिए भी एक अनमोल धरोहर है. यहां की मूर्तियों को देखकर प्राचीन भारतीय संस्कृति और उसकी विविधताओं का दर्शन होता है. यह मंदिर हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता का प्रमाण है.
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FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 12:01 IST