Emotional Story : एक पुराने स्कूल और उसके पूर्व छात्र की भावुक कर देने वाली कहानी, आप भी जरूर पढ़ें

सिरोही. बचपन का स्कूल और दोस्त हमेशा याद आते हैं. उन्हें बुरी हालत में देख दिल पिघल जाता है. ऐसा ही हुआ सिरोही के एक गांव में. यहां के एक पुराने सरकारी स्कूल को जब उसके पुराने विद्यार्थी ने देखा तो वो भावुक हो गया. विद्यार्थी को बड़ा सेठ बना चुका ये स्कूल खुद जर्जर हालत में था. विद्यार्थी ने फौरन खुले हाथ से बड़ी राशि दान कर दी ताकि स्कूल को नया रंग रूप दिया जा सके.
ये वाकया सिरोही जिले के पेशुआ गांव का है. यहां स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पेशुआ जर्जर हो चुका है. स्कूल भवन की दीवारें और छत खस्ता हो चुकी हैं. शिक्षा विभाग से बजट नहीं मिलने के कारण भवन खराब हालत में है.
पुरानी शान में लौटा स्कूलइस गांव में जन्मे और इसी स्कूल में पढ़ें एक पूर्व विद्यार्थी रणजीतमल संतोकचंद सोठानी यहां आए. वो अब अहमदाबाद में बड़े कारोबारी हैं. उनके मन में अपना स्कूल देखने की ललक थी. वो स्कूल पहुंचे तो भवन की हालत देखकर दुखी हो गए. उन्होंने फौरन स्कूल के कायाकल्प के लिए 50 लाख रुपए दान कर दिए. इस सहयोग राशि से मुख्यमंत्री जन सहभागिता विद्यालय विकास योजना के तहत 40 लाख से 12 कमरों का निर्माण करवाया गया. सोठानी ने 5 लाख रुपए की लागत से स्कूल का भव्य मुख्य प्रवेश द्वार बनवाया. इसके अलावा स्कूल परिसर में बरामदे में जाली लगवायी. बिजली और अन्य काम के लिए 2.25 लाख रुपए और दिए. स्कूल अब अपनी पुरानी पहचान और नये रंग में मुस्कुरा रहा है. 13 जून को स्कूल में बने नवीन भवन का लोकार्पण कर दिया गया.
ऐसा रहा सफररणजीतमल का अपनी जन्मभूमि और अपने गांव के प्रति काफी लगाव था. गांव के ही इस स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर पाली जिले के फालना से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई कर मुंबई चले गए. मुम्बई में सामान्य वेतन पर नौकरी कर अपना व्यवसाय शुरू किया. फिर अहमदाबाद चले गए और आज वो बड़े व्यवसायी हैं.
स्कूल और गांव का ऋण चुकायारणजीतमल कहते हैं इस गांव और स्कूल का मुझ पर हमेशा कर्ज रहेगा. इसे मैं कभी चुका नहीं पाऊंगा. ये छोटा सा सहयोग मेरी तरफ से इस स्कूल और गांव की सेवा है ताकि गांव की नयी पीढ़ी तैयार हो सके. फिलहाल इस स्कूल में 450 छात्रों पढ़ते हैं और कुल 24 शिक्षक और कर्मचारी हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 15:18 IST