Rajasthan

The Board Is Charging Fees From Teachers And Schools In The Name Of Pe – पैनल्टी के नाम पर शिक्षकों और स्कूलों से शुल्क वसूल रहा बोर्ड

लेकिन बोर्ड रिजल्ट तैयार करने वाले शिक्षकों को मानदेय तक नहीं

जयपुर,
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Board of Secondary Education) ने 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम (12th class exam result) तो जारी कर दिया लेकिन इस परिणाम को जारी करने का काम करने वाले स्कूलों के विषय अध्यापक, कक्षा अध्यापक और संस्था प्रधानों को इस कार्य का मानदेय (honorarium) नहीं दिया गया जबकि इस बार स्कूली स्तर पर ही पिछले 2 वर्षों के अंकों के आधार पर विषय अध्यापक (Subject Teacher) , परीक्षा प्रभारी (in-charge of examination) ने संस्था प्रधान (head of institution) की देखरेख में परिणाम की गणना कर बोर्ड को अंक भेजे हैं। बोर्ड को ना तो परीक्षा लेनी पड़ी और ना ही च्चों की उत्तर पुस्तिका जांचने का काम हुआ और ट्रांसपोर्ट का कोई खर्च नहीं हुआ। ऐसे में परीक्षा परिणाम तैयार करने वाले शिक्षकों को मानदेय (honorarium) देने की मांग उठ रही है। वह भी तब जबकि बोर्ड ने विद्यार्थियों से परीक्षा शुल्क भी लिया और इस बार उसे बोर्ड की कॉपी जांचने के लिए शिक्षकों को भी कोई भुगतान नहीं करना पड़ा। लेकिन बोर्ड संत्राक भेजने में त्रुटि होने पर शिक्षकों और स्कूलों से पैनल्टी वसूलने में पीछे नहीं था।

संत्राक भरने का नहीं मिलता मानदेय, गलती पर मोटी वसूली
बोर्ड की ओर से संत्राक भरने के लिए शिक्षकों को कोई मानदेय (honorarium)नहीं दिया जाता लेकिन गलती होने पर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। इस बार बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित नहीं की गई और दो साल के परिणामों के आधार पर संत्राक भेजने का काम स्कूलों को दिया गया। ऐसे में इस बार 12वीं और 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम स्कूल स्तर पर ही तैयार हुआ। ऐसे में भी बोर्ड ने स्कूलों और शिक्षकों पर पैनल्टी लगा दी। बोर्ड ने निर्देश दिए थे कि यदि संत्राक भेजने में कोई त्रुटि होती है तो शिक्षकों से प्रति परीक्षार्थी 50 रुपए से 150 रुपए तक पैनल्टी लेगा जबकि स्कूल स्तर पर यह राशि प्रति परीक्षा 15 हजार रुपए तक होगी। गौरतलब है कि बोर्ड ने संत्राक के आधार पर परीक्षा परिणाम तैयार करने के निर्देश तो स्कूलों को दिए थे जिसमें कहा गया था कि मूल टीआर के जरिए बच्चों का अंकभार निकाला जाए। ऐसे में टीचर डाइट टीआर के फेर में उलझ कर रह गए। डाइट ने उन्हें 2019 का टीआर उपलब्ध करवा कर इतिश्री कर ली, ऐसे स्टूडेंट्स जिन्होंने एक कक्षा उत्तीर्ण कर दूसरे जिलें में एडमिशन लिया था, उनकी टीआर के लिए शिक्षक परेशान होते रहे।

हर विद्यार्थी से लिया 600 रुपए शुल्क
बोर्ड ने हर विद्यार्थी से 600 रुपए परीक्षा शुल्क लिया था। इस बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में करीब 21 लाख विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। यानी बोर्ड के पास 130 करोड़ रुपए जमा हुए।
एक कॉपी जांच करने के मिलते हैं 15 रुपए
बोर्ड एक कॉपी जांचने के शिक्षक को 15 रुपए देता है। इस हिसाब एक बच्चे के सभी पांच विषयों की कॉपी जांच के शिक्षकों 75 रुपए मिलते हैं। 12वीं बोर्ड परीक्षा में 9 लाख अभ्यर्थियों ने बार आवेदन किया था। यदि शिक्षकों की ओर से इन बच्चों की कॉपी जांची जाती तो बोर्ड को उन्हें 6 करोड़ 75 लाख रुपए का मानदेय देना पड़ता।

यहां भी होती है वसूली
आवेदन पत्र भरने में नाम,पिता का नाम,माता का नाम मे कोई गलती हो तो प्रति गलती 200 रुपए वसूलता है जबकि प्रति आवेदनपत्र अग्रेषण शुल्क 50 रुपए निर्धारित है। यदि आवेदनपत्र में तृतीय भाषा गलत भर दी जाए तो 2200 रुपए वसूले जाते हैं। यह दण्ड भी कक्षाध्यापक, परीक्षा प्रभारी और संस्था प्रधान के जिम्मे है। किसी अन्य बोर्ड के विद्यार्थी के लिए प्रति बोर्ड परीक्षा पात्रता प्रमाण पत्र वसूलता है। यदि कोई अन्य बोर्ड का विद्यार्थी अनुत्तीर्ण हो गया तो उसे अगले वर्ष परीक्षा के लिए पुन: पात्रता प्रमाण पत्र लेना पड़ता वो नहीं लेता तो उससे 100 के स्थान पर 1100 रुपए लिए जाते हैं।

बोर्ड अध्यक्ष को भेजा ज्ञापन
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री महेंद्र पांडे ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष को ज्ञापन भेजा है। जिसमें कहा गया है कि बोर्ड को केवल इस बार अंक तालिका (Marksheet) ही जारी करनी है। उत्तर पुस्तिका (Answer sheet) जांचने और ट्रांसपोर्ट का खर्चा बचा है। वहीं बोर्ड की ओर से परीक्षार्थियों से पूरी फीस ली गई है। ऐसे में परीक्षा परिणाम तैयार करने वाले विषय अध्यापक, कक्षा अध्यापक और संस्था प्रधान को मानदेय दिया जाना चाहिए और शिक्षक संघ अरस्तु के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने भी शिक्षकों को मानदेय दिए जाने की मांग की है।







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