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दुनिया का होने वाला है अंत? वैज्ञानिकों ने की भविष्यवाणी – पृथ्वी पर कब समाप्त होगा जीवन

Last Updated:May 17, 2025, 16:47 IST

अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सांस लेने लायक ऑक्सीजन एक न‍िश्‍च‍ित साल तक ही उपलब्ध रहेगी. उसके बाद बड़ा वायुमंडलीय परिवर्तन पृथ्वी की रहने योग्य क्षमता को नष्ट कर देगा. दुनिया का होने वाला है अंत? वैज्ञानिकों ने की भविष्यवाणी - खत्‍म होगी पृथ्‍वी

धरती पर खत्‍म हो जाएगा ऑक्‍सीजन

हाइलाइट्स

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऑक्सीजन एक अरब वर्षों तक उपलब्ध रहेगी.बाद में वायुमंडलीय परिवर्तन पृथ्वी की रहने योग्य क्षमता को नष्ट कर देगा.केवल कठोर सूक्ष्मजीव ही कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जीवित रह सकेंगे.

नई द‍िल्‍ली. आपके मन में कभी ये सवाल आता है क‍ि क्‍या धरती पर सब कुछ खत्‍म हो सकता है? क्‍या पूरी पृथ्‍वी ही समाप्‍त हो सकती है? नासा (NASA) और जापान के टोहो विश्वविद्यालय (Toho University) के वैज्ञान‍िकों ने म‍िलकर इसी व‍िषय पर एक अध्‍ययन क‍िया है. इस स्‍टडी में वैज्ञान‍िकों ने ये पता लगाने की कोश‍िश की है क‍ि धरती कब समाप्‍त हो जाएगी. इस स्‍टडी के जो नतीजे आए हैं, वो बेहद चौंका देने वाले हैं. वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि पृथ्‍वी पर जो ऑक्‍सीयुक्‍त वातावरण अभी म‍िल रहा है, वो अनंत काल के ल‍िए नहीं है. जीवन के लि‍ए ऑक्‍सीजन सबसे जरूरी फैक्‍टर है और अगर ऑक्‍सीजन ही नहीं रहेगा तो कोई भी जीव कैसे जीव‍ित रहेगा.

क्‍यों खत्‍म हो जाएगा जीवन ?

अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सांस लेने लायक ऑक्सीजन लगभग एक अरब वर्षों तक उपलब्ध रहेगी, उसके बाद ही कोई बड़ा वायुमंडलीय परिवर्तन पृथ्वी की रहने योग्य क्षमता को नष्ट कर देगा. अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा क‍ि आख‍िर क्‍यों होगा. दरअसल, ये बदलाव सौर ऊर्जा, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और भूगर्भीय गतिविधि से जुड़ी एक बेहद जटिल और दीर्घकालिक अंतःक्रिया से उपजेगा.

जैसे-जैसे सूर्य धीरे-धीरे उम्र के साथ चमकीला होता जाता है, तीव्र सौर विकिरण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के अपघटन को तेज कर देगा. CO₂ में यह कमी प्रकाश संश्लेषक जीवों, विशेष रूप से पौधों, को एक प्रमुख संसाधन से वंचित कर देगी, जिससे ऑक्सीजन उत्पादन में गिरावट आएगी.

कब खत्‍म होगा जीवन ?

क्‍लाइमेट स‍िस्‍टम और बायोकेमीक साइक‍िल के एडवांस मॉडलों का उपयोग करते हुए, वैज्ञान‍िकों की टीम ने इस बदलाव की समय-सीमा का पूर्वानुमान लगाने की कोश‍िश की. इसके लिए उन्‍होंने 400,000 से अधिक सिमुलेशन चलाए. अध्‍ययन के परिणामों से पता चलता है कि पृथ्वी का ऑक्सीजन से भरा फेज उसके कुल जीवन काल का एक छोटा सा अध्याय है. यानी जीवन की मेजबानी करने वाले समय का केवल 20 से 30 प्रतिशत.

केवल ये ही बच पाएंगे

इस ऑक्सीजन फेज के खत्‍म होते ही पृथ्वी का वायुमंडल अपने शुरुआती दिनों जैसी स्थिति में वापस आ जाएगा, ज‍िसमें मीथेन में उच्च स्‍तर पर होगा, कार्बन डाइऑक्साइड कम होगा और सुरक्षात्मक ओजोन परत की कमी होगी. ऐसी परिस्थितियां ग्रह को अधिकांश वर्तमान जीवन रूपों के लिए अनुपयुक्त बना देंगी, जिससे केवल कठोर सूक्ष्मजीव ही बचेंगे जो कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जीवित रह सकते हैं.

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