यहां गिरती है बारिश की पहली बूंद! बादलों को छूती है महल की इमारत, खूबसूरती देख खुली रह जाएगी आंखें

भारत का हर राज्य विशेष कारणों से लोगों के बीच चर्चित है. जहां नॉर्थ अपने पहाड़ों के लिए जाना जाता है, वहीं साउथ अपने समुद्री किनारों के लिए मशहूर है. इसी तरह भारत का हर राज्य अलग-अलग कारणों से मशहूर है. राजस्थान की बात करें तो ये राज्य अपने ऐतिहासिक इमारतों और धरोहरों के लिए जाना जाता है. इन इमारतों में से आज हम बात कर रहे हैं उदयपुर के एक ऐसे अनोखे महल के बारे में, जिसे मॉनसून की भविष्यवाणी के लिए बनाया गया था.
हम बात कर रहे हैं समुद्र से 31 सौ फ़ीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर बनाए गए महल के बारे में. वैसे तो इस महल का नाम सज्जनगढ़ पैलेस है लेकिन अपनी खासियत की वजह से ये मॉनसून पैलेस के नाम से भी जाना जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसे मॉनसून पैलेस क्यों कहा जाता है? दरअसल, इस किले का निर्माण इस तरह से किया गया है कि इससे आप बादलों के बीच खुद को पाते हैं. इस किले को इतनी ऊंचाई पर बनाया गया है कि ये बादलों को छूता सा महसूस होता है. इस कारण इसे मॉनसून पैलेस के नाम से भी जाना जाता है.
नजारे देखने को हुआ था निर्माणइस खूबसूरत किले का निर्माण 1884 में हुआ था. इसका नामकरण सज्जनगढ़ मेवाड़ राजवंश के महाराणा सज्जन सिंह के नाम पर किया गया था. इस महल को बनाने का मुख्य उद्देश्य खगोलीय केंद्र बनाने का था. लेकिन इसके निर्माता सज्जन सिंह की असमायिक मौत की वजह से ये योजना रद्द कर दी गई. इसके बाद इसे मॉनसून महल और शिकारगाह में बदल दिया गया. इसे महाराणा सज्जन सिंह ने चित्तौड़गढ़ का नजारा देखने के लिए बनवाया था. यहां से इलाके की खूबसूरती वाकई देखने लायक है.
इसलिए मशहूर है महलसज्जन सिंह द्वारा बनवाया गया ये महल खास कारण से मशहूर है. वैसे तो इसे सज्जन सिंह बनवा रहे थे. लेकिन उनकी मौत के बाद इसका निर्माण रुक गया. इसके बाद उनके उत्तराधिकारी राजा महाराणा फ़तेह सिंह ने इसे पूरा करवाया. उन्होंने इसका निर्माण ऐसे करवाया कि इसे मॉनसून की भविष्यवाणी के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा. बाद में इसे शिकारगाह के तौर पर भी यूज किया गया. कहते हैं कि ये महल इतनी ऊंचाई पर है कि अगर बारिश होती है तो सबसे पहली बूंद इसी महल के ऊपर गिरती है. इस कारण ही इसे मॉनसून महल के नाम से जाना जाता है.
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FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 10:36 IST