बीकानेर का उड़ता इतिहास, कागज के चंदों में बोलती हैं परंपरा और पीड़ा!

Last Updated:April 25, 2025, 16:57 IST
बीकानेर की 538वीं वर्षगांठ पर एक अनोखी परंपरा के तहत चंदा उड़ाने की परंपरा जारी है. कागज से बने ये चंदे सामाजिक संदेश और चित्रकारी के साथ उड़ाए जाते हैं, जो शहरवासियों की समस्याओं और खुशी को दर्शाते हैं.X
इन दिनों बीकानेर के कलाकार इन चंदा बनाने का काम चल रहा है.
हाइलाइट्स
बीकानेर में चंदा उड़ाने की परंपरा 538वीं वर्षगांठ पर जारी है.चंदों पर सामाजिक संदेश और चित्रकारी उकेरे जाते हैं.चंदा बनाने का कार्य बीकानेर के कलाकारों द्वारा किया जाता है.
निखिल स्वामी /बीकानेर- बीकानेर शहर 538 साल का होने जा रहा है, इस मौके पर शहर में एक अनोखी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. यह परंपरा स्थापना दिवस के अवसर पर पतंगबाजी की होती है, लेकिन यहां पर पतंग के अलावा कुछ और खास उड़ाया जाता है, कागज से बना चंदा.
चंदा उड़ाने की परंपरा और इसका ऐतिहासिक महत्वबीकानेर में स्थापना दिवस के मौके पर आसमान में बहे खाते के कागज से बने पतंग नुमा चंदे को उड़ाने की परंपरा है. खास बात यह है कि इन चंदों को मांजे से नहीं बल्कि रस्सी से उड़ाया जाता है. यह परंपरा बीकानेर की स्थापना करने वाले राव बीका से जुड़ी हुई है, जिन्होंने सबसे पहले चंदा उड़ाया था. चंदा उड़ाने का उद्देश्य था कि राजा अपनी प्रजा को संदेश दें कि देश में क्या चल रहा है. आजकल, यह परंपरा अब शहरवासियों द्वारा अपनी समस्याओं और संदेशों को आसमान में उड़ाकर व्यक्त की जाती है.
चंदा बनाने का कार्य और संदेशबीकानेर के कलाकार इस खास परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. इन दिनों, बीकानेर में चंदा बनाने का कार्य जोरों पर है. चंदा बनाने के लिए कारीगर तैयारी कर रहे हैं, इन चंदों के माध्यम से देश-विदेश में सामाजिक संदेश दिए जा रहे हैं. चंदा उड़ाने की परंपरा खासकर आखाबीज और आखातीज के दिनों में पूरे शहर में खुशी का संदेश फैलाने का तरीका बन चुकी है. इसके साथ-साथ चंदा पर पारंपरिक दोहे और समसामयिक मुद्दों से जुड़े संदेश भी लिखे जाते हैं.
चंदा पर चित्रकारी और संदेशहर साल, चंदा बनाने वाले कलाकार इन पर चित्र और संदेश लिखते हैं. इस साल, बीकानेर रियासत की वंशावली और चाइनीज मांझे के बहिष्कार, पेड़ पौधे लगाने जैसे कई सामाजिक संदेश इन चंदों पर उकेरे गए हैं. कुछ चंदों पर बीकानेर रियासत के राजा-महाराजाओं के चित्र, दोहे, और संदेश भी लिखे गए हैं, जो बीकानेर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं.
चंदा बनाने का पारंपरिक तरीकाकलाकार कृष्ण चंद पुरोहित, जो पिछले 32 सालों से चंदा बनाने का कार्य कर रहे हैं, बताते हैं कि उनकी चौथी पीढ़ी इस कला को आगे बढ़ा रही है. नगर स्थापना दिवस पर गोलाकार आकार के चंदे बनाए जाते हैं, जो लगभग चार फीट आकार के होते हैं. इन चंदों को बही खाते के कागज से बनाया जाता है और इनमें सरकंडे की लकड़ी लगाई जाती है. किनारों पर पाग के कपड़े चिपकाए जाते हैं, कुछ चंदों पर बीकानेर रियासत का ध्वज भी प्रतीकात्मक रूप से लगाया जाता है. इन चंदों को डोरी की मदद से उड़ाया और छोड़ा जाता है. एक चंदा बनाने में लगभग चार से पांच दिन का समय लगता है.
Location :
Bikaner,Rajasthan
First Published :
April 25, 2025, 16:57 IST
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