The goddess of children is present here, children suffering from crooked mouth, stuttering and paralysis are cured after visiting this temple, know about this unique temple
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Agency: Rajasthan
Last Updated:February 15, 2025, 15:23 IST
नागौर के देवली गांव में 150 साल पुराना महामाया माता का मंदिर है, जिसे बच्चों वाली देवी के नाम से जाना जाता है. यहां पूजा से बच्चों की तुतलाहट और लकवा जैसी समस्याएं दूर होती हैं. X
बच्चों वाली महामायामाता
दीपेंद्र कुमावत/नागौर. राजस्थान के नागौर जिले को मंदिरों और पशुपालन के लिए जाना जाता है. यहां ऐसे अनेकों मंदिर हैं, जो अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर देवली गांव में स्थित है, यहां महामाया माता का मंदिर मौजूद है, जिसे “बच्चों वाली देवी” के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें कि भारत की कुछ गिनी-चुनी जगहों पर ही महामाया माता का मंदिर देखने को मिलता है. देवली गांव का यह महामाया मंदिर अपने आप में अत्यंत विशेष है, यहां माता-पिता अपने बच्चों को लेकर आते हैं और उनके सुखी जीवन की कामना करते हैं.
बच्चों की तुतलाहट होती है दूर बच्चों की देवी के रूप में महामाया माता की विशेष पूजा की जाती रही है. माना जाता है कि यदि बच्चों को बोलने में तुतलापन होता है, तो महामाया माता के मंदिर में पूजा अर्चना करने से उनकी तुतलाहट दूर हो जाती है. भक्तगण माता को प्रसन्न करने के लिए लकड़ी का पालना भी भेंट करते हैं, और माता से अरदास करने के बाद चमत्कारी रूप से बच्चे स्पष्ट बोलने लगते हैं.
एक शताब्दी पुराना है मंदिर
नागौर कुचामन रोड पर स्थित देवली गांव में 150 साल पुराना महामाया माता का मंदिर है. मंदिर पुजारी धन्नालाल ने बताया कि पहले यह मंदिर कच्ची मिट्टी से बना हुआ था, यहां उनके दादाजी पूजा करते थे. बाद में, उनके पिता, बुआ और मां ने पूजा की, और अब कई वर्षों से स्वयं ही महामाया माता की पूजा की जा रही है.
अनोखी मान्यताएं मुख्य पुजारी धन्नालाल ने बताया कि जब बच्चों का मुंह टेढ़ा हो जाता है, बोलने में तुतलापन आता है या लकवा लग जाता है, तो उन्हें मां के दरबार पर लाया जाता है और जोत पर 21 बार घुमाया जाता है, जिससे बच्चे चमत्कारी रूप से ठीक हो जाते हैं. मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त लकड़ी का पालना भी मंदिर में चढ़ाते हैं. प्रत्येक महिनें की शुक्ल पक्ष की दूज, सप्तमी, दशमी और चौदस पर माता की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें दूर-दराज से भक्त आते हैं. मुख्य पुजारी धन्नालाल बताते हैं कि मां का मेला भादवा की पूर्णिमा पर भरता है. यहां तक कि गांव के मुस्लिम समाज के लोग भी, अपने बच्चों का जड़ूले उतारने और लकवा होने पर अरदास करने के लिए, मां की चौखट पर आते हैं.
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
February 15, 2025, 15:23 IST
homerajasthan
बहुत ही चमत्कारी है ये मंदिर, जहां माथा टेकते ही लकवा रोग से मिलती है मुक्ति