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मंडप में चल रही थी शादी, नोटों से भरकर आई थाली, दूल्हे ने देख मुंह बिचकाया, कहा- नहीं लेंगे, अब कर रहे तारीफ

Last Updated:February 18, 2025, 07:28 IST

Jiasalmer News: सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे परमवीर राठौड़ की जैसलमेर में जमकर तारीफ हो रही है. परमवीर राठौड़ ने अपनी शादी में एक ऐसा फैसला लिया, जिसका हर कोई मुरीद हो गया.मंडप में चल रही थी शादी, नोटों से भरकर आई थाली, दूल्हे ने देख मुंह बिचकाया

जैसलमेर में दूल्हे के एक फैसले की हो रही तारीफ.

हाइलाइट्स

जैसलमेर में दूल्हे की हो रही है तारीफ.दूल्हे ने नोटों की गड्डी से भरी थाली को लौटाया.

जैसलमेरः एक तरफ जहां समाज में अब भी कुछ लोग दहेज के लालच में शादी तोड़ देते हैं या फिर हत्या जैसी जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो भरे समाज में दहेज का विरोध कर रहे हैं और इसको बढ़ावा देने से रोक रहे हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के जैसलमेर से सामने आया है, जहां एक दूल्हे ने शादी की रस्म के दौरान नोटों से भरी हुई थाली लौटा दी. अब इस मामले को लेकर स्थानीय लोग दूल्हे की जमकर तारीफ कर रहे हैं. शादी की रस्म में दहेज के तौर पर जब दूल्हे को 5 लाख 51 हजार रुपये दिए गए तो उसने तुरंत दुल्हन के परिवार को लौटा दिया, जिससे रिश्तेदारों और ग्रामीणों के बीच खूब तारीफ हुई.

दुल्हन के परिवार वालों ने दी नोटों से भरी थालीसिविल सर्विस की तैयारी कर रहे परमवीर राठौड़ की शादी 14 फरवरी को करालिया नामक एक छोटे से गांव में निकिता भाटी से हुई. जैसे ही राठौड़ घोड़े पर सवार होकर ढोल की थाप और जश्न के बीच शादी के लिए पहुंचे, दुल्हन के परिवार ने उनका भव्य स्वागत किया. जल्द ही “तिलक” समारोह शुरू हुआ, और दूल्हे को उसके होने वाले ससुराल वालों ने उपहार देना शुरू किया. इस बीच दूल्हन के परिवार की तरफ से एक थाली आई, जो नोटों से भरी हुई थी.

परमवीर ने लौटा दी नोटों से भरी थालीएक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए दूल्हे ने कहा, “जब उन्होंने मुझे पैसे देने की कोशिश की, तो मुझे यह देखकर दुख हुआ कि समाज में ऐसी (दहेज) प्रथाएं जारी हैं. मैं इसे तुरंत अस्वीकार नहीं कर सकता था, इसलिए मुझे रस्म जारी रखना पड़ा. मैंने अपने पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से बात की और कहा कि हमें पैसे वापस करने होंगे.” बता दें कि परमवीर राठौड़ सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं.

‘किसी को शुरुआत करनी होगी’उन्होंने कहा, “मैं सिविल सेवा का अभ्यर्थी हूं और मैंने बहुत पढ़ाई की है. इसलिए मुझे लगा कि अगर शिक्षित लोग बदलाव नहीं लाएंगे, तो कौन करेगा. हमें एक उदाहरण पेश करना चाहिए. मेरे माता-पिता सहमत हुए और मेरा समर्थन किया. मेरी एक बहन भी है. अगर हम इन कुप्रथाओं को खत्म नहीं करेंगे, तो हम समाज में बदलाव कैसे लाएंगे? हममें से प्रत्येक को कहीं न कहीं से शुरुआत करनी होगी.” राठौड़ ने कहा कि समाज में बदलाव लाने का प्रयास करना शिक्षित लोगों पर निर्भर है. उन्होंने कहा, “यह अचानक नहीं होगा लेकिन हमें कहीं न कहीं से शुरुआत करनी होगी.”


First Published :

February 18, 2025, 07:13 IST

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