इस जगह स्वंय प्रकट हुई थी हनुमान जी की मूर्ति! भक्तों का दावा- दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना

जयपुर. जयपुर अपने प्राचीन मंदिरों, ऐतिहासिक इमारतों, किलों और महलों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां हर त्योहार और हर महीने प्राचीन मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसे ही एक स्थल है दिल्ली रोड पर अरावली की पहाड़ियों में स्थित खोले के हनुमान जी मंदिर, जो किसी तीर्थ धाम से कम नहीं है. यहां एक ही स्थान पर हनुमान जी, भगवान शंकर, गणेश जी, श्रीकृष्ण और वैष्णो माता के मंदिर हैं. इन मंदिरों में दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, और विशेष रूप से सावन के महीने में यहां का अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य देखने लायक होता है. इसलिए पर्यटक भी सावन के महीने में यहां सबसे अधिक आते हैं.
आपको बता दें यह स्थान 250 वर्ष पूर्व बाबा श्री निर्मलदासजी की तपोभूमि रही है और इसी स्थान हनुमानजी की मूर्ति स्वयंभू प्रकट हुई थी. फिर यहां सन् 1961 में श्री नरवर आश्रम सेवा समिति की स्थापना हुई और साथ ही मंदिर की भी स्थापना कि थीं. इस मंदिर में आठ पहाड़ियों के बीच ध्रुवतारे के समाजन हनुमानजी संजीवनी बूटी लिए विराजमान है. यहां भक्त हनुमानजी को बाबा के नाम से पुकारते है. इस मंदिर में भक्तों द्वारा प्रदास चढ़ाने पर कुछ निकालने की बजाय प्रसाद में मिश्री मिलाकर भक्तो को दी जाती है.
यहां होता हैं भोलेनाथ का हर दिन अनोखा श्रृंगारआपको बता दें हनुमान मंदिर में हि स्थित भगवान शंकर के शिवलिंग पर यहां हर दिन विशेष श्रृंगार किया जाता हैं, जिसे देखने यहां लोग दूर-दूर से आते हैं, और अभी श्रावन के महिने में तो खासकर यहां के श्री राधेश्वर शिवालय जहां एक साथ 12 ज्योतिलिंग के दर्शन होते हैं, इसी जगह पर भगवान श्री राम, श्री कृष्ण और गायत्री मां और जम्मू की वैष्णों देवी के अवतार में वैष्णों देवी मंदिर भी बना हुआ हैं जहां रोप वे के माध्यम से पहुंचा जाता हैं, इस मंदिर में दूर-दूर से सावन के महिने में भक्त कांवड़ यात्रा लेकर पहुंचते हैं.
यहां का लक्खी अन्नकूट मेला हैं दुनिया भर में प्रसिद्धखोले के हनुमान जी मंदिर अपने लक्खी अन्नकूट मेले के लिए देश-विदेश में विख्यात है. जाति-धर्म के बंधन को छोड़कर सभी भक्त एक पंगत में बैठकर प्रसादी ग्रहण करते हैंसाथ ही यहां पर श्रीसीतारामजी का पाटोत्स, नवरात्रा में नवान्ह परायण, विजयदशमी, श्रीराम जन्मोत्सव, शरद पूना, श्रीहनुमान जयन्ती, फागोत्सव, गंगादशमी, ध्वजयात्रा, पुष्कर व हरिद्वार की गंगा से कावड यात्रा, ऋषि पंचमी के पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं. भक्तों व यात्रियों के लिए सुविधाएं खोले के हनुमानजी का परिसर गोठों व सवामणियों के लिए विख्यात है. यहां पर एक दिन में दस हजार लोगों को सवामणि व गोठों के माध्यम से प्रसादी बनाने व जीमाने की व्यवस्था है.
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FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 11:31 IST