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फैक्‍ट्री में बन रहा था देश को तबाह करने का सामान, DRI की टीम ने छापा मारा तो हिल गया दिमाग, हर तरफ मचा हड़कंप – gujarat factory produce material to destroy country directorate of revenue intelligence dri team raid shocking revelation

अहमदाबाद. गुजरात के वलसाड जिले में मेफेड्रोन (एमडी) बनाने वाली एक फैक्‍ट्री का भंडाफोड़ करके तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया और 25 करोड़ रुपये मूल्य का ड्रग जब्त किया गया. यह जानकारी राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने बुधवार को दी. केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि एक सूचना के आधार पर सूरत और वापी के DRI की टीम ने वलसाड जिले के उमरगाम और देहरी में जीआईडीसी (इंडस्ट्रियल एस्टेट) के विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया. यह कार्रवाई मंगलवार को एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत की गई और जीआईडीसी क्षेत्र स्थित कारखाने मेसर्स सौरव क्रिएशन्स को सिंथेटिक मादक पदार्थ मेफेड्रोन के अवैध निर्माण में लिप्त पाया गया.

डीआरआई ने कहा कि वलसाड की फोरेंसिक लैब की एक टीम ने कारखाने में पाए गए संदिग्ध साइकोट्रोपिक पदार्थ में मेफेड्रोन की मौजूदगी की पुष्टि की. डीआरआई ने कहा कि इकाई से तरल रूप में कुल 17.3 किलोग्राम एमडी बरामद किया गया. गुजरात सीआईडी की एक टीम ने अभियान में सहायता की. इसमें कहा गया है कि यूनिट से जब्त किए गए साइकोट्रोपिक पदार्थों का अवैध बाजार मूल्य लगभग 25 करोड़ रुपये है. एनडीपीएस अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया और आगे की जांच की जा रही है. बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई सिंथेटिक ड्रग के बढ़ते उपयोग और इन मादक पदार्थ के निर्माण में औद्योगिक इकाइयों के दुरुपयोग तथा उन्हें रोकने के लिए डीआरआई के निरंतर प्रयासों को उजागर करती है.

कस्‍टम डिपार्टमेंट का पूर्व अफसर गिरफ्तारसीबीआई की एक विशेष अदालत ने कस्‍टम डिपार्टमेंट के एक पूर्व अधीक्षक और दो अन्य को निर्यात संबंधी दस्तावेजों की जालसाजी और करीब 14 करोड़ रुपये की शुल्क चोरी से संबंधित 2009 के एक मामले में बुधवार को दोषी ठहराया. स्‍पेशल जज एसएम मेंजोंगे ने तीनों को आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और उन्हें एक साल जेल की सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष के अनुसार, विभाग के तत्कालीन अधीक्षक (तकनीकी) दत्ताराम कुबडे ने एक निर्यात कंपनी के मालिक मोहम्मद हुसैन सत्तार को बी-17 बांड (निर्यात-आयात व्यापार में प्रयुक्त सामान्य प्रयोजन वाला बांड) में जालसाजी करने तथा गलत सूचना प्रस्तुत करने की मंजूरी दी थी.

गंभीर आरोपअधीक्षक ईओयू का लाभ उठाते हुए करों से बचने की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल था. इससे 13.76 करोड़ रुपये की शुल्क चोरी पकड़ी गई. सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक आशीष बिलगैयां ने दावा किया कि तीसरे दोषी नरेश भाटिया ने सत्तार द्वारा शुरू की गई धोखाधड़ी को जारी रखा. अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले में दो अन्य आरोपियों को बरी कर दिया.

FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 23:58 IST

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