The music of the band stopped due to the noise of the DJ now the existence is in danger – News18 हिंदी

विशाल कुमार/छपरा:- कभी बैंड-बाजे की आवाज सुनकर ही पता चल जाता था कि कोई बारात गुजरने वाली है या यहां किसी की शादी है. लोग पूछते थे कि कितने लोगों की बैंड पार्टी की है और यह स्टेट्स सिंबल भी हुआ करता था. लेकिन अब बैंज-बाजे वाले बेरोजगारी के कगार पर हैं, जिसका कारण तेज धुन वाला डीजे है. एक डीजे ने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया है. छपरा के बैंड बाजा के प्रोपराइटर मो.शमीम बतलाते हैं कि पहले की तुलना में काम काफी कम है. कई लोग बेरोजगार हो गए हैं और अब तो हमारे अस्तिव पर खतरा मंडरा रहा है.
एक बारात से निकलने पर जलता था कई घरों का चूल्हा
मो.शमीम बतलाते हैं कि डीजे आने से पहले तक हम लोगों को समय नहीं रहता था. लेकिन अब तो काम मिलना भी मुश्किल हो गया है.अब डीजे की धुन के आगे बैंड बाजे की धून थमता नजर आ रहा है. बंद होने का मुख्य कारण यह है कि डीजे लोग सस्ते दर पर ही बुक कर ले रहे हैं या भांगड़ा वाले को बुक कर ले रहे हैं. डीजे में दो व्यक्ति ही कार्य करता है, जबकि बैंड-बाजे में 25 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता था. इस आधुनिक जमाने में डीजे के आने से सैकड़ो लोगों का रोजगार छीनता जा रहा है.
कुछ लोग बैंड बाजा के धून के हैं शौकिन
आज भी कुछ लोग बैंड-बाजा के दीवाने हैं और अपने घर शादी के शुभ अवसर पर बैंड-बाजा ही बुक करते हैं. बैंड बाजा में काम करने वाले लोगों को अब घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है. किसी तरह लोग अपना जीवन यापन चला रहे हैं. मो. शमीम ने बताया कि डीजे के आने से बैंड बाजा बंद होते जा रहा है. एक दिन हम लोग काम करते हैं, तो 15 दिन घर बैठना पड़ता है. डीजे कम पैसे में ही बुक हो जाता है, जिसको चलाने वाला भी एक व्यक्ति होता है. कम पैसे में बुक होने से लोग बैंड-बाजा को बुक नहीं कर रहे हैं. इसके चलते हम लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है.
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इतने में बुक होता है बैंड-बाजा
मो. शमीम ने बताया कि बैंड-बाजा में अधिक लोग रहते हैं और सभी को मेहनताना देना पड़ता है. मैं 1985 से बैंड-बाजा संचालित कर रहा हूं. हमारे यहां 50 हजार से लेकर 75 हजार तक बैंड बुक होता है. इसमें 11, 21 लोगों की टीम रहती है और इसकी आवाज भी काफी मधुर होती है. डीजे की आवाज काफी तेज होती है, जिससे कई बीमारी भी होती है. लेकिन लोग आधुनिकता में बैंड-बाजा वाले को भूलते जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 15, 2024, 21:27 IST