इस्लामिक कैलेंडर का नया साल आज शुरू, जानिए इस्लाम में इस महीने का क्या है महत्व, ये है इसकी मान्यता

सीकर. इस्लामिक कैलेंडर का नया साल, हिजरी 1446, मुहर्रम माह से शुरू हो गया है. यह महीना सिर्फ नये साल की शुरुआत का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का भी पवित्र अवसर है. इस माह में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजियों का जुलूस निकाला जाता है. हिजरी कैलेंडर की शुरुआत पैगंबर इस्लाम सललल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की हिजरत यानी मक्का छोड़ने से हुई.
पैगम्बरे इस्लाम को हिजरत किए हुए 1445 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार मोहर्रम उन चार (मोहर्रम, जुल-कअदा, जुल-हिज्जा, रजब) पवित्र महीनों में से एक है जिन्हें हुरमत यानी इज्जत वाला महीना कहा जाता है. पैगंबर इस्लाम सललल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इसका महत्व बयान करते हुए कहा कि रमजान के बाद सबसे अफजल रोजा मोहर्रम का है. दिलशाद अली ने बताया कि इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना बहुत अहम होता है.
इस महीने जरूरतमंदों की करते हैं मदद इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे. 10वें दिन कर्बला के मैदान में 72 साथियों के साथ शहीद हुए थे. उनकी शहादत की याद में मोहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मानते हैं जिसे ‘आशूरा’ कहते हैं. इस दौरान सभी को जरूरमंदों की मदद करनी चाहिए.
FIRST PUBLISHED : July 7, 2024, 10:58 IST