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नोटों से खचाखच भर जाएगाी तिजोरी, बस, किसान शुरू कर दें इस फसल की खेती, ये है इसकी पूरी प्रोसेस  – हिंदी

एग्रीकल्चरल टिप्स

किसान अच्छे मुनाफे के लिए कपास की खेती कर सकते हैं. इसे अधिक पानी और देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है. इसके लिए दोगट गि‌ट्टी उपयुक्त रहती है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि इसकी फसल के लिए 2-3 बार जुताई करके खेत तैयार करें, ताकि खेत में खरपतवार न रहे. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें और पलेवा के बाद एक या दो जुताई व पाटा लगाकर खेत को तैयार करके शीघ्र बुवाई करें. जुताई करने से पहले दीमक से प्रभावित खेतों में क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत 6 किग्रा. प्रति बीघा की दर से भूमि में मिलाएं.

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कपास की उन्नत किस्में: एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि बीटी कपास की बीज दर एक पैकेट (475 ग्राम) प्रति बीघा पर्याप्त है. प्रत्येक पैकेट के साथ 10 फीसदी नान बीटी बीज का खेत के चारों तरफ बुवाई करें. इसके अलावा आरसीएच 650 बीजी, एमआरसी 7351 बीजी, जेकेसीएच 1947 बीजी, अंकुर 555 बीजी, एनसीएस 855 बीजी, तुलसी 9 बीजी, बायोसीड 6581 बीजी, कावेरी 999 बीजी सहित अनेकों कपास की किस्में हैं.

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बीजों का उपचार: एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया जरूरी-जड़ गलन रोग की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पूर्व व्यापारिक जिंक सल्फेट 6 किग्रा प्रति बीघा की दर से मिट्टी में डालकर मिला दें. बोये जाने वाले बीजों को कार्बोक्सिन 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी 0.3 प्रतिशत या कार्बन्डेजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यू पी 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम लीटर पानी में) के घोल में मिलाएं या सादे पानी में भिगोए गए बीज को कुछ समय तक छाया में सुखाने के बाद ट्राइकोडर्मा हरजेनियम या सूडोमोनास पलूरोसेन्स 10 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोएं. बी.टी. कपास की बुवाई हेतु कतार से कतार की दूरी 108 सेमी रखें व पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी रखें.

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कीट नियंत्रण और सिंचाई: खेती के समय कपास में 4-5 सिंचाई करें. पहली सिंचाई बोने के 35-40 दिन बाद करें और अन्य सिंचाई 25-30 दिन के अन्तराल आवश्यकत्तनुसार करें. बीटी कपास में बॉलवर्म के खिलाफ जैविक प्रतिरोध होता है, लेकिन यह चूसक कीटों जैसे सफेद मक्खी, थ्रिप्स, माहू, जेसिड आदि पर प्रभावी नहीं होता. इसलिए इन कीटों के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों का सही समय पर छिड़काव जरूरी होता है.

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ऐसे करें कीट नियंत्रण: एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि कपास में कीट के नियंत्रण के लिए जैसिङ इमिडाक्लोप्रिड 17.8 फीसदी एसएल मात्रा, 150 एमएल या थायोमेथॉक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यू जी 100 ग्राम. थ्रिप्स- फिप्रोनिल 5 फीसदी एससी मात्रा 1500 एमएल सफेद मक्खी-बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एससी मात्रा 1000 एमएल. माहू- इमिडाक्लोप्रिड/थायोमेथॉक्साम. माइट्स-प्रोपरगाइट 57 फीसदीइ ईसी 1000 एमएल, डायकोफॉल 18.5 प्रतिशत ईसी 1500 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

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इसके अलावा आवश्यकतानुसार कपास की 4-5 चुगाई करना जरूरी है कपास चुनने के बाद अवशेषों को यथाशीघ्र कटाई कर उन्हें खेत से दूर हटाएं, ताकि अगले वर्ष कीटों के प्रकोप में कमी आ सके. उन्नत कृषि विधियां अपनाने पर कपास की 5-75 क्विटल प्रति बीघा उपज ती जा सकती है.

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खाद एवं उर्वरक: एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ने बताया कि कपास में गोबर जैविक खाद अधिक मात्रा में डालनी चाहिए. वहीं, नत्रजन 22.5 किग्रा एवं फॉस्फोरस 5 किग्रा. प्रति बीधा देना चाहिए. नत्रजन की मात्रा मिट्टी आधार पर घटा-बढ़ा सकते है. खेत में खरपतवार न पनपने दें और इसके लिए पहली निराई-गुड़ाई प्रथम सिंचाई के बाद करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमेथालिन 30 ई.सी. 1.25 लीटर प्रति बीघा की दर से 125-150 लीटर पानी में घोलकर छिडकें.

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