इकलौती बेटी ने लिया सांसारिक मोह माया से त्याग का निर्णय, 11 दिसंबर को जोधपुर में होगी दीक्षा
मोहित शर्मा/ करौली: राजस्थान की एक बेटी ने 21 साल की छोटी उम्र में सांसारिक जीवन का त्याग कर मोक्ष का मार्ग चुनने का कठोर निर्णय लिया है. जैन धर्म से संबंध रखने वाली कनिष्का जैन अपने परिवार की इकलौती बेटी है. नीट की तैयारी के दौरान उन्होंने सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर अपना जीवन ईश्वर भक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए समर्पित करने का निश्चय किया.
परिवार और समाज को गर्व कनिष्का के इस निर्णय पर उनके परिवार और जैन समाज ने गर्व जताया है. पूर्वी राजस्थान के कई क्षेत्रों में उनकी बरघोड़ा यात्रा का आयोजन धूमधाम से किया गया. करौली में ननिहाल पक्ष द्वारा बैंडबाजे के साथ यात्रा निकाली गई.
11 दिसंबर को जोधपुर में दीक्षा कनिष्का जैन मूल रूप से भरतपुर जिले के कुम्हेर क्षेत्र की निवासी हैं. उनका परिवार वर्तमान में अलवर के बड़ौदा मेव में रहता है. उनके पिता पवन जैन ने बताया कि कनिष्का ने दीक्षा लेने का यह निर्णय नीट परीक्षा की तैयारी के दौरान लिया. पढ़ाई में शुरू से अव्वल रही कनिष्का ने 10वीं बोर्ड में 75% और 12वीं में साइंस स्ट्रीम से 85% अंक प्राप्त किए. दीक्षा का कार्यक्रम 11 दिसंबर को आचार्य भगवंत 1008 हीराचंद जी महाराज के सानिध्य में जोधपुर में होगा.
मां से मिली प्रेरणा कनिष्का ने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा अपनी मां मधु जैन से मिली. मधु जैन भी जैन धर्म के इस मार्ग पर चलना चाहती थीं, लेकिन परिवार में इकलौती बेटी होने के कारण उन्हें इस राह से रोक दिया गया. नीट की तैयारी के दौरान महेंद्र मुनि साहब के एक व्याख्यान ने कनिष्का को गहराई से प्रभावित किया और यहीं से उनके वैराग्य का मार्ग प्रशस्त हुआ.
नई पीढ़ी को संदेश कनिष्का जैन ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करें और धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाएं. उन्होंने कहा, मेरा उद्देश्य अपने भोगों को कम करना और संसार के दुखों को त्याग कर मोक्ष प्राप्त करना है.
मां के लिए कठिन लेकिन गौरवपूर्ण निर्णय कनिष्का की मां मधु जैन ने भावुक होते हुए कहा कि एक मां के लिए यह निर्णय लेना कठिन होता है, लेकिन यह भी सच है कि दीक्षा का निर्णय संसार में सबसे पवित्र और उत्तम होता है. उन्होंने कहा कि माता-पिता का बच्चों के प्रति मोह स्वाभाविक है, लेकिन इस निर्णय के पीछे दृढ़ता और संतोष का भाव होना चाहिए.
समाज के लिए प्रेरणा कनिष्का के इस निर्णय ने जैन समाज और युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की है. यह कदम धर्म और भक्ति के प्रति उनकी अटूट आस्था को दर्शाता है, जो उन्हें मोक्ष की राह पर ले जाने के लिए प्रेरित कर रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 30, 2024, 17:20 IST