The only temple built here in Alwar with the help of roadways employee – News18 हिंदी
पीयूष पाठक/अलवरः राजस्थान प्रदेश अपनी खास मान्यता और प्राचीन धरोहर को लेकर देश ही नहीं पूरी दुनिया मे मशहूर है. आमतौर पर अलवर जिले में मंदिर के निर्माण राजा महाराजाओं के समय से है. ऐसे ही अलवर की केंद्रीय बस स्टैंड पर बना एक मंदिर काफी प्रसिद्ध है. सफर पर निकलने से पहले यात्री अपनी यात्रा मंगलमय हो इसके लिए इष्ट को जरूर याद करता है. कुछ ऐसा ही अलवर शहर के रोडवेज बस स्टैंड परिसर में माता चिंतपूर्णी का भव्य मंदिर पर होता है. यहां माता के दर्शनों से ही भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यहां चाहे यात्री हो या कर्मचारी हर व्यक्ति भक्त के रूप में अपनी अरदास लगाने के लिए आता है.
अलवर शहर के रोडवेज बस स्टैंड स्थित माता चिंतपूर्णी मंदिर की स्थापना रोडवेज कर्मचारियों द्वारा सन 1974 में रामनवमी के दिन मंदिर की स्थापना हुई. उस दिन मंदिर का पाटोत्सव भी मनाया जाता है. यह मंदिर का सबसे बड़ा कार्यक्रम होता है. इसके अलावा मंदिर में शिवरात्रि, जन्माष्टमी, पूर्णिमा सहित जैसे पर्व बड़ी धूमधाम से मनाए जाते है. ऐसा कहा जाता है कि चिंतपूर्णी माता के दर्शनों से भक्तों की सारी चिंताएं दूर हो जाती है. इसलिए माता को चिंतपूर्णी के नाम से जाना जाता है. अलवर शहर में चिंतपूर्णी माता का यह एकमात्र मंदिर है.
माता को पहनाई जाती है 6 मीटर की साड़ी
मंदिर के महंत दिनेश शर्मा कहते है कि मंदिर की सबसे खास विशेषता यह है कि यहां माता को 6 मीटर की साड़ी पोशाक के रूप में पहनाई जाती है. जो महिला की पोशाक होती है, वही माताजी को पहनाई जाती है.नवरात्रि के समय पोशाक चढ़ाने में यहां भक्तों का नंबर आने में 6 साल भी लग जाता है. चिंतपूर्णी माता की प्रतिमा के बारे में दिनेश शर्मा ने बताया कि यह माता जी की प्रतिमा जयपुर से बनकर अलवर आई. चिंतपूर्णी माता की प्रतिमा करीब सवा तीन फीट की है. मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालु माता के आगे नतमस्तक होते हैं. नवरात्र में सबसे अधिक संख्या में भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 16, 2024, 15:44 IST