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मां-बाप ने मासूमियत की लगा दी बोली, 1500 रुपए में सौंप दिया बचपन, शिक्षक की सजगता से ऐसे हुआ रेस्क्यू

Last Updated:May 22, 2025, 09:23 IST

Udaipur Child Resque: उदयपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (रेलवे ट्रेनिंग) में कार्यरत शिक्षक दुर्गाराम मुआल को सूचना मिली कि एक बच्चा उज्जैन की ओर ले जाया जा रहा है, जिसे उसके अभिभावकों ने चारवाहा परिवार क…और पढ़ें1500 रुपए में भेड़ चराने के लिए मां-बाप ने मासूम को सौंपा, शिक्षक ने किया बरामद

बच्चे को दिया किराए पर 

हाइलाइट्स

शिक्षक दुर्गाराम ने बच्चे को बालश्रम से बचाया.माता-पिता ने 1500 रु. में बच्चे को भेड़ चराने भेजा.बच्चे को बाल कल्याण समिति की देखरेख में रखा गया.

उदयपुर. महज 9 साल का एक मासूम, जिसकी उम्र किताबों और खिलौनों के साथ खेलने की होती है, उसे उसके ही माता-पिता ने रहने-खाने की सुविधा और 1500 रुपए मासिक वेतन पर एक भेड़ चराने वाले परिवार को सौंप दिया. यह ह्रदय विदारक मामला झाड़ोल उपखंड के ओगणा क्षेत्र से सामने आया है. इस पूरी घटना में खास बात यह रही की उदयपुर के एकजागरूक शिक्षक की तत्परता से यह बच्चा बालश्रम की अंधेरी दुनिया से निकल पाया.

दरअसल, उदयपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (रेलवे ट्रेनिंग) में कार्यरत शिक्षक दुर्गाराम मुआल को सूचना मिली कि एक बच्चा उज्जैन की ओर ले जाया जा रहा है, जिसे उसके अभिभावकों ने चारवाहा परिवार को सौंप दिया है. मुआल ने तुरंत टीम से संपर्क कर बच्चे की खोजबीन शुरू की और  सेंट्रल बस स्टैंड, उदयपुर पर उस बच्चे को रेस्क्यू किया गया.

माता-पिता ने ही बच्चे को कर दिया था सुपुर्द

यह बच्चा वांगली, ओगणा गांव का निवासी है. जानकारी के अनुसार, करीब 15 दिन पहले ही उसके माता-पिता ने बच्चे को एक पाली निवासी परिवार को दे दिया था, जो वर्तमान में उज्जैन के पास डेरा जमाए हुए है. इसी दौरान, उनके परिवार में शादी के चलते वगाराम रेबारी नामक व्यक्ति बच्चे को अपने साथ उदयपुर लेकर आया था. जब रेस्क्यू की भनक लगी, तो वह मौके से फरार हो गया. आपको बता दें कि दुर्गाराम मुआल पहले भी कई बच्चों को बाल मजदूरी से बचा चुके हैं. रेस्क्यू के बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति की देख-रेख में सुरक्षित किया गया है. साथ ही बच्चे को अब सरकारी छात्रावास में रहने और पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी.

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सैलरी से बच्चों का खर्चा उठाते हैं दुर्गाराम

उदयपुर शहर के शिक्षक दुर्गा राम पिछले करीब 5 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करने और उन्हें शिक्षा से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं. इतना ही नहीं वह अपनी सैलरी से इन बच्चों का खर्चा उठाते हैं.  शिक्षक दुर्गाराम कई वर्षो से ये नेक काम करते आ रहे हैं. कहीं से भी सूचना मिले दुर्गाराम बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए निकल पड़ते हैं.

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