The Red Sea crisis is opening new doors of hope for India | लाल सागर का संकट खोल रहा भारत के लिए खोलेगा उम्मीदों के नए द्वार
अभी घूमकर जा रहे हैं जहाज
लाल सागर, स्वेज नहर के माध्यम से हिंद महासागर को भूमध्य सागर से जोड़ता है। वैश्विक व्यापार का करीब 12 प्रतिशत हिस्सा लाल सागर होते हुए गुजरता है। हूती विद्रोहियों से बचने के लिए अभी जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के कैप ऑफ गुड होप का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे न केवल ज्यादा समय लग रहा है, बल्कि माल ढुलाई की लागत भी कई गुना बढ़ गई है। रेगेव ने बताया, मुंद्रा मार्ग से माल ढुलाई में 12 दिन का समय बचेगा और लागत भी कम आएगी।
नया नहीं है विचार
मुंद्रा पोर्ट का विचार अचानक नहीं आया है, बल्कि पिछले कुछ समय से इस पर काम चल रहा था। अरबी समाचार पत्र अल-अरबी अल-जदीद ने आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ नेहाद इस्माइल के हवाले से कहा है कि भूमि गलियारा पहली बार अब्राहम समझौते के समय प्रस्तावित किया गया था, जो इजरायल और कुछ अरब राज्यों के बीच 2020 में हुआ था।
भारत पर असर
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत ने अपने 18 लाख करोड़ रुपए के सामान निर्यात का लगभग 50% लाल सागर के माध्यम से किया, जबकि 17 लाख करोड़ रुपए के आयात का लगभग 30% इसी मार्ग से हुआ। बासमती निर्यात का 35% लाल सागर मार्ग के जरिए यूरोप, पश्चिम एशिया, उत्तरी अमरीका और अफ्रीका भेजा जाता है। हालांकि माल ढुलाई की लागत बढऩे से बड़ी मात्रा में चावल घरेलू बाजार में बेचा जा रहा है।