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सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की लड़की को दी थी गर्भ गिराने की इजाजत, फिर CJI ने क्यों पलट दिया फैसला?

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की बलात्कार पीड़िता को 30 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत दी थी. हालांकि अब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने लड़की के माता-पिता से बात करने के बाद 22 अप्रैल का अपना आदेश सोमवार को वापस ले लिया.

शीर्ष अदालत ने इस नाबालिग लड़की का कल्याण ‘बेहद महत्वपूर्ण’ बताते हुए 22 अप्रैल को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए लड़की को अपना गर्भ गिराने की इजाजत दी थी. अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का अधिकार है.

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हालांकि सोमवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दोपहर दो बजे कोर्ट रूम में मामले की सुनवाई की और बेंच की मदद कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी तथा नाबालिग लड़की के माता-पिता के वकील से बातचीत की.

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इस मामले से जुड़े वकीलों ने कहा कि लड़की के माता-पिता ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से न्यायाधीशों के साथ बातचीत की. लड़की के माता-पिता ने कहा कि उन्होंने गर्भावस्था की पूरी अवधि तक इंतजार करने का फैसला किया है. इसके बाद प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने अभिभावकों की दलीलें स्वीकार कर लीं और 22 अप्रैल का आदेश वापस ले लिया.

Tags: Abortion, DY Chandrachud, Supreme Court

FIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 04:54 IST

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