रेगिस्तान का खजाना! इस सब्जी के आगे काजू-बादाम भी हैं फेल! सुखने के बाद 5 गुना बढ़ जाती है कीमत

Last Updated:May 18, 2025, 17:38 IST
राजस्थान के रेगिस्तान का एक अनमोल रत्न ये न केवल स्वाद में अनूठी है, बल्कि संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है. रेगिस्तान के कठिन हालात में उगने वाली यह फली जिसे ‘ सांगरी’ के रूप में जाना जाता है, स्थानीय व्यंजन…और पढ़ें
सदियों पहले जब रेगिस्तान में पानी और संसाधन दुर्लभ थे, तब खेजड़ी और सांगरी ने लोगों को भूखमरी से बचाया था. स्थानीय लोग इसे प्यार से ‘रेगिस्तान का खजाना’ कहते हैं. आज सांगरी न सिर्फ राजस्थानी घरों की रसोई में, बल्कि शाही भोज और पांच सितारा होटलों की थाली में भी जगह बना चुकी है.
थार के रेगिस्तान की तपती धूप में जहां 50 डिग्री तापमान भी आम बात है. वहां एक ऐसी सब्जी उगती है जो न सिर्फ स्वाद और पोषण में काजू-बादाम को मात देती है, बल्कि बाजार में 1500 रुपये प्रति किलो तक की कीमत पर बिकती है. जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान की शाही सांगरी की, जो खेजड़ी के पेड़ पर उगने वाली यह फली अपनी अनूठी खूबियों और रसीले स्वाद के लिए मशहूर है.
एक समय था जब सांगरी गांवों तक ही सीमित रहती थी, लेकिन आज दुनिया के कोने-कोने तक पहुंंच गई है. बेहतरीन स्वाद और खासकर पूरी तरह प्राकृतिक रूप से पैदावार के कारण लोगों के लिए सांगरी पहली पसंद बन चुकी है. यही कारण है कि आज जितनी डिमांड स्थानीय स्तर पर नहीं है, उससे ज्यादा दूसरे प्रदेशों और विदेशों तक है.
सांगरी की खेती बहुत फायदेमंद होती है. सांगरी की खेती पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, जालौर में पाए जाने वाले खेजड़ी के पेड़ पर की जाती है. सांगरी की खेती के लिए जल निकासी वाली रेतीली, दोमट या बंजर भूमि सबसे अच्छी होती है. इसकी खेती के लिए 45 से 50 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है. इसके पौधों को बीज और ग्राफ्टिंग के माध्यम से लगाया जा सकता है.
पश्चिमी राजस्थान में गर्मी में इसकी पैदावार होती है. ऐसे में इस क्षेत्र में जब सांगरी कच्ची होती है तो स्थानीय स्तर पर इसकी कीमत 150-200 रुपये प्रति किलो तक होती है. सूखने पर पैदावार वाले क्षेत्र में ही सांगरी की कीमत करीब 5 गुना तक बढ़ जाती है, जबकि दूसरे राज्यों में 1500-2000 रुपये प्रति किलो पर बिकती है.
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रेगिस्तान का खजाना! इस सब्जी के आगे काजू-बादाम भी हैं फेल! कीमत 1500