Rajasthan

These are the brave heroes of Kargil who did not return home, they had given a tough time to the enemy – हिंदी

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कारगिल युद्ध के समय 127 सैनिक मातृभूमि रक्षार्थ सीमा पर दुश्मन से लोहा लिया और अपनी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए. जिले के हुडील गांव के ठाकुर देवी सिंह के पुत्र सुरेंद्र सिंह खेलकूद व पढ़ाई में होशियार थे, तो वे फौज में भर्ती हो गए. सुरेंद्र सिंह की ड्यूटी कश्मीर के दराश क्षेत्र में हुई, जो कि भारत-पाक की सीमा पर है. 3 मई 1999 में दोनों देशों की आर-पार की लड़ाई जारी थी. भारत पाक के मध्य जंग में सुरेंद्र सिंह अपने टैनपैरा कमांडो के साथ 7 जवानों के साथ टुकड़ी में थे. वहां पर टुकड़ी की सहायता मिलना असंभव था, लेकिन देशभक्ति का जज्बा ऐसा था कि वो दुश्मनों के छक्के छुड़ाते रहे. अंतिम समय में भी तीन दुश्मनों को धराशाई कर किया. लेकिन दुश्मन की गोली उनकी जांघों पर लगी, जिससे 19 मई 1999 को सुरेंद्र सिंह शेखावत वतन के खातिर शहीद हो गए. 

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