ये हैं भारत के सबसे निर्भीक वोटर्स, जान जोखिम में डाल देते हैं वोट, जवान ही नहीं, बूढ़ों में भी नीली स्याही का क्रेज

भारत में जब भी इलेक्शन आता है, सबसे पहले लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जाता है. लोगों को ये समझाने की कोशिश की जाती है कि उनका मत काफी अहमियत रखता है. इसी के जरिये देश के विकास की कहानी लिखी जाती है. ऐसे में लोगों से वोट करने की अपील की जाती है. इन अभियानों का ही नतीजा है कि बीते कुछ समय से वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ा है.
उदयपुर स्थित विश्व विख्यात जयसमंद झील के बीच बसें टापुओं के लोग भी अब अपने वोट को लेकर जागरूक हो चुके हैं. सरपंच, प्रधान, विधायक और सांसद के चुनाव को लेकर टापू के लोग लकड़ी की नौका में सवार होकर मतदान केंद्रों पर पहुंचकर सरकार को चुनते हैं. इस बार भी सलूंबर विधानसभा उपचुनाव पर अलसुबह से कई मतदाता नाव में सवार होकर अपने मत का उपयोग करने पहुंचे.
टापुओं में रहते हैं लोगबता दें कि झील में करीब 8 टापू हुए हैं. कई टापुओं में तो लोग रियासत काल से निवास कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार भटवाड़ा, बाबा मंगरा, बीड़ा, मिंदोड़ा मंगरा, भागल मंगरी, मुडिया खेत टापू गामड़ी ग्राम पंचायत और पायरी व भैंसों का नामला टापू मैथूड़ी ग्राम पंचायत में स्थित है. इन टापुओं में करीब 405 मतदाता हैं, जिसमें पुरुष सबसे अधिक 220 और महिलाएं 185 हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि भटवाड़ा टापू में एक ही परिवार निवास करता है, जहां दो महिला और दो पुरुष मतदाता हैं.
जान जोखिम में डालकर देते हैं वोटमतदान करने आए लोगों ने बताया कि वो कई वर्षों से इस तरह ही जान जोखिम में डालकर मतदान करने आते हैं. टापुओ में रहने वालों को भी पता है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में उनकी भागीदारी आवश्यक है. हालांकि, आजादी के बाद से आज दिन तक इन टापुओं की ओर प्रशासन की नजर नहीं पड़ी है. इसकी वजह से आज भी ये लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. अगर कोई बीमार हो जाए तो इलाज के लिए झील पार कर अस्पताल ले जाना पड़ता है. लोगों ने बताया कि वो अपना मत देकर लोकतंत्र को मजबूत बना रहे हैं. ऐसे में थोड़ा प्रशासन उनकी तरफ भी ध्यान दे.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 12:47 IST