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बिना खेती पहाड़ों में खुद उगता ये फल, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, जंगलों से ढूंढ-ढूंढकर लाते हैं लोग

Last Updated:April 25, 2025, 17:58 IST

Kafal ke Fayde: हिमाचल के जंगलों में उगने वाला काफल फल मंडी बाजारों में 500 रुपये किलो की दर से पहुंचा. जानिए इसके औषधीय गुण, आर्थिक फायदे और ग्रामीणों की आत्मनिर्भरता की कहानी.
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बिना खेती पहाड़ों में खुद उगता ये फल, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, बुढ़ापे पर लगा देता फुल स्टॉप

हाइलाइट्स

काफल फल हिमाचल के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है.काफल फल ₹500 प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बिक रहा है.काफल में विटामिन C, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं.

हिमाचल प्रदेश के घने जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाला जंगली फल काफल (Bayberry) अब मंडी जिले के बाजारों में पहुंच गया है. अपनी मीठी स्वाद और औषधीय गुणों के कारण प्रसिद्ध यह फल फिलहाल ₹500 प्रति किलोग्राम की शुरुआती कीमत पर बेचा जा रहा है.

तुंगल घाटी से पहली खेप, देवराज ने किया आगाज़मंडी के तुंगल क्षेत्र से देवराज वह पहले विक्रेता हैं जो इस वर्ष काफल को बाजार तक लाए हैं. उन्होंने सेरी मंच पर काफल की टोकरी सजा कर बिक्री शुरू की है. इस बार यह फल मई-जून से पहले ही पक गया है, जिससे बाजारों में इसकी जल्दी एंट्री हुई है.

औषधीय गुणों की खान, शरीर को बनाता है ताकतवरकाफल न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. यह फल थकान मिटाने वाला, ऊर्जा देने वाला और गर्मियों में शरीर को ठंडक देने वाला माना जाता है. इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और यह मधुमेह व हृदय रोगों के लिए भी लाभकारी है.

आयुर्वेद की भी मुहर, विटामिन्स, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरआयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अभिषेक कौशल के अनुसार, काफल में प्राकृतिक रूप से विटामिन C, आयरन और पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. ये तत्व शरीर में सूजन, उच्च रक्तचाप और पेट की गड़बड़ी जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं.

काफल की खेती नहीं, यह कुदरत का तोहफा हैसबसे दिलचस्प बात यह है कि काफल की कोई मानव निर्मित खेती नहीं होती. यह हिमाचल के पहाड़ी जंगलों में खुद-ब-खुद उगता है और हर साल मई-जून के मौसम में तैयार हो जाता है. इसके फल तोड़ना भी बेहद सावधानी का काम है, जिसमें ग्रामीण सुबह-सवेरे मेहनत करके जंगलों से फल इकट्ठा करते हैं.

आर्थिक लाभ और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते ग्रामीणहर साल हजारों क्विंटल काफल मंडी, कुल्लू और शिमला जैसे क्षेत्रों के बाजारों में पहुंचता है. इसकी बिक्री से ग्रामीण परिवारों को अच्छा मुनाफा होता है, जिससे उन्हें न केवल आजीविका मिलती है बल्कि आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी.

स्थानीय बाजारों से देशभर तक पहुंचने की तैयारीग्रामीण अब काफल को सिर्फ स्थानीय मंडियों तक ही सीमित नहीं रखना चाहते. सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से इसकी देशव्यापी बिक्री की योजना भी बन रही है, जिससे इसकी लोकप्रियता और बढ़ सकती है.

Location :

Mandi,Himachal Pradesh

First Published :

April 25, 2025, 17:58 IST

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विटामिन सी का बाप है पहाड़ों में मिलने वाला ये फल,शरीर में भर दे फौलाद सी ताकत

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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