यहां बनते हैं ये खास गणपति, कई सालों से इस वजह से नहीं किए जाते विसर्जित

कोटा: राजस्थान के कोटा के कर्मयोगी सेवा संस्थान-कोटा के जिला अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा के संयोजन में गुरुधाम कॉलोनी रोटेदा सोगरिया रेलवे स्टेशन के पास मुख्यालय पर इको फ्रेंडली गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई है. यह प्रतिमा 16 किलो नारियल के रेशे से निर्मित है. इस इको फ्रेंडली गणपति प्रतिमा को मंगलवार को दोपहर 2 बजे सूरजपोल गेट के पास से मुख्य शोभायात्रा में सम्मिलित किया जाएगा.
संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी रावण सरकार ने बताया कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए संदेश देते हुए 10 हजार पंपलेट शोभायात्रा में वितरित किए जाएंगे. जिसमें जल संरक्षण का संदेश दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि जल प्रकृति की अनमोल संपदा है. जलीय जीवों की सुरक्षा होगी तो जल शुद्ध होगा. दूषित पेयजल समस्त बीमारियों का कारण है. गणपति की प्रतिमा को विसर्जित करने की परंपरा को प्राकृतिक संतुलन के साथ जोड़ते हुए जलीय जीवों की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा करें. बढ़ते जल प्रदूषण को रोकने का उत्तरदायित्व हम सभी का है.
कर्मयोगी सेवा संस्थान जिला मुख्यालय पर स्थापित की गई साढ़े तीन फिट की इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा शहर की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जिसे वर्ष 2021 से विसर्जित नहीं किया जाता. इसे शोभायात्रा में शामिल किया जाता है. उसके बाद पर्यावरण बचाने का संदेश देते हुए बाराद्वारी तक ले जाकर जल स्नान करवाने के पश्चात वापस मुख्यालय पर लाकर स्थापित किया जाता है. प्रतिमा की वर्षभर पूजा अर्चना की जाती है.
मुख्यालय पर छह अन्य गणेश प्रतिमा भी स्थापित की गई हैं जो 8 से 10 इंच तक की हैं. जिसे दुकानदारों के द्वारा अपने शॉप पर मिट्टी गणेश का बैनर लगाकर गारंटी के साथ यह कहते हुए बेचा गया है कि 1 घंटे से 2 घंटे में यह पानी के अंदर घुल जाएगी. वास्तविकता की जांच करने की दृष्टि से ही कर्मयोगी संस्थान के संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी द्वारा इन प्रतिमाओं को खरीदते हुए इको फ्रेंडली प्रतिमा के साथ स्थापित किया गया है. जिन्हें प्रातः 8 बजे मुख्यालय पर स्थापित अमृत कुंड पात्र में विसर्जित कर वास्तविकता की जांच की जाएगी.
FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 19:57 IST