पेट की इस खतरनाक बीमारी में यह दवा बनेगी काल, वैज्ञानिकों ने खोजा इलाज का सस्ता तरीका
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Last Updated:February 13, 2025, 19:37 IST
Antibiotic for IBD: इंफ्लामेटरी बाओल डिजीज पेट की बहुत भयंकर बीमारी है जिसमें महीनों तक पेट में दर्द होते रहता है. इससे पेट संबंधी कई और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पा…और पढ़ें
पेट की बीमारी के लिए दवा.
Antibiotic for IBD: इंफ्लामेटरी बाओल डिजीज आईबीडी पेट के लिए इतनी खतरनाक बीमारी है कि अगर यह हो जाए तो कई महीनों तक पेट में दर्द करते रहता है. इसके साथ ही डायरिया हो जाता है स्टूल से म्यूकस भी निकलता रहता है. यहां तक कि कभी-कभी खून भी निकलने लगता. आईबीडी के कारण हमेशा थकान भी रहती है और इलाज सही से नहीं किया जाए तो वजन भी गिर सकता है. इस बीमारी में दवा भी बहुत अच्छे तरीके से काम नहीं करती. ऐसे में एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इंफेक्शन वाली दस्त के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीबायोटिक दवा इंफ्लामेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) में भी प्रभावी दवा साबित हो सकती है.
क्लीनिकल ट्रायल में मिली सफलता ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के रिसर्चर ने दिखाया कि वैंकोमायसिन नामक एंटीबायोटिक उन लोगों के इलाज में भी कारगर हो सकता है जिन्हें एक खास तरह की आईबीडी है. यह प्राइमरी स्क्लेरोजिंग कोलांगाइटिस (पीएससी) नामक लाइलाज ऑटोइम्यून लिवर बीमारी के कारण विकसित होती है.क्रोन और कोलाइटिस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट क मुताबिक एक क्लिनिकल ट्रायल में इस दवा से कुछ रोगियों को रोगमुक्त करने में सफलता हासिल हुई है. यह रिसर्च महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित कई मरीजों ने अब तक उपलब्ध अन्य तरह के इलाज पर प्रतिक्रिया नहीं दी थी. आईबीडी और पीएससी का आपस में गहरा संबंध है. पीएससी से पीड़ित अधिकांश व्यक्तियों में आईबीडी विकसित होता है. इसके साथ ही आईबीडी से पीड़ित 14 प्रतिशत रोगियों में भी पीएससी विकसित होता है.
वैंकोमाइसिन दवा से मिला फायदा बर्मिंघम विश्वविद्यालय के डॉ. मोहम्मद नबील कुरैशी ने कहा, हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि वैंकोमायसिन आईबीडी और ऑटोइम्यून लिवर रोग के इस चुनौतीपूर्ण संयोजन वाले रोगियों के लिए एक नया चिकित्सीय विकल्प प्रदान कर सकता है. आईबीडी ऐसी बीमारी है जो अगर कई सालों तक ठीक न हो तो इसमें कोलन सर्जरी की आवश्यकता हो जाती है और लिवर कैंसर भी विकसित हो सकती है. परीक्षण के दौरान,प्रतिभागियों को चार सप्ताह तक मौखिक एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया गया. उपचार के बाद लगभग 80 प्रतिशत रोगियों ने क्लीनिकल छूट मिल गई. उन्होंने सूजन संबंधी मार्करों में भी महत्वपूर्ण कमी दिखाई और 100 प्रतिशत म्यूकोसल हीलिंग हो गई. वैज्ञानिकों ने पाया है कि वैंकोमाइसिन नामक दवा कुछ पित्त अम्लों में बदलाव ला सकती है. इन बदलावों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि आईबीडी से जुड़े पीएससी रोग के इलाज को बेहतर बनाया जा सके. हालांकि अभी इस स्टडी में और स्पष्टता की जरूरत है.
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First Published :
February 13, 2025, 19:37 IST
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