औषधीय गुणों का खजाना है ये देसी पौधा, कब्ज से लेकर गठिया और त्वचा रोगों को करता जड़ से खत्म

Last Updated:May 16, 2025, 14:25 IST
डॉ. अनुज बताते हैं कि अरंडी के बीजों से प्राप्त तेल में रिसिनोलिक एसिड होता है, जो कब्ज, सूजन, गठिया और त्वचा रोगों के लिए बेहद कारगर है. आयुर्वेद में इसे शुद्धिकारी और वातनाशक माना गया है.
छत्तीसगढ़ के गांवों में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाला अरंडी का पौधा अब स्वास्थ्य और आजीविका दोनों के लिए वरदान साबित हो रहा है. आयुर्वेद डॉ. अनुज कुमार के अनुसार, अरंडी के पौधे में इतने औषधीय गुण हैं कि यदि इसका सही उपयोग किया जाए तो यह ग्रामीण स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक सस्ता और प्रभावी समाधान बन सकता है. वहीं, इसके बीजों से मिलने वाला तेल व्यवसायिक दृष्टि से भी फायदेमंद है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में अब इसका उपयोग पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के मेल से हो रहा है, जिससे ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य और आय का स्रोत मिल रहा है.

डॉ. अनुज बताते हैं कि अरंडी के बीजों से प्राप्त तेल में रिसिनोलिक एसिड होता है, जो कब्ज, सूजन, गठिया और त्वचा रोगों के लिए बेहद कारगर है. आयुर्वेद में इसे शुद्धिकारी और वातनाशक माना गया है.

छत्तीसगढ़ के गांवों में कई ग्रामीण महिलाएं अरंडी के बीजों का संग्रहण कर तेल निकालने का काम कर रही हैं. इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में बल मिल रहा है. स्वयं सहायता समूह इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक समर्थन मिल रहा, विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से अपनाई गई अरंडी चिकित्सा अब शोध संस्थानों में भी गंभीरता से जांची जा रही है.इससे इसके उपयोग को वैज्ञानिक मान्यता भी मिल रही है.

अरंडी कम पानी और देखरेख में भी फलता-फूलता है. किसान टिकेंद्र सिंह बताते हैं कि यह पौधा बंजर या कम उपजाऊ जमीन पर भी अच्छी उपज दे सकता है, जिससे यह किसानों के लिए बेहद लाभकारी है.
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औषधीय गुणों का खजाना है ये देसी पौधा, गठिया, कब्ज करता जड़ से खत्म
 


