रामायण काल का है ये पौधा, इससे लक्ष्मण हुए थे ठीक, सूखे पौधे को पानी में डालते ही हो जाता है हरा, जानें फायदे

सिरोही. राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू की नक्की झील के आसपास कुछ व्यापारी इन दिनों एक अनोखा पौधा बेच रहे हैं. इस पौधे को संजीवनी कहा जाता है. सूखा दिखाई देने वाले इस पौधे को पानी में डालते ही ये हरा भरा हो जाता है. यह पौधा देखने में जितना सुंदर है, उतना ही लाभकारी भी है. अपने इस गुण और इसकी अच्छी रिकवरी की शक्ति की वजह से इसे एक औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है.
नक्की झील पर ये पौधा घर में सजावट के लिए शो प्लांट के रूप में बेचा जा रहा है. ये पौधा बेच रहे व्यापारी ने बताया कि संजीवनी का पौधा मुख्य रूप से उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों में मिलता है. इसका साइंटिफिक नेम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस है. हिमालय के पहाड़ी इलाकों में ये पौधा पाया जाता है. अब ये पौधा अरावली पर्वतमाला में बसे माउंट आबू में भी बिक रहा है. इस पौधे के कई आयुर्वेदिक और धार्मिक महत्व है. संजीवनी पौधे के औषधीय गुणों के बारे में सिरोही के सेवानिवृत जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. दामोदर प्रसाद चतुर्वेदी ने जानकारी दी.
दर्द और सूजन कम करने में कारगरवरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि संजीवनी का पौधा शरीर में किसी प्रकार की सूजन या दर्द को कम करने में मदद करता है. तनाव महसूस होने पर भी इस पौधे से जल्द ही तनाव से मुक्ति मिलती है. थकान और मिर्गी के लक्षण से लड़ने में भी ये बूटी मददगार होती है. बुखार और चोट लगने पर भी इसका उपयोग करने पर जल्द राहत मिलती है.
लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी से आया था होशसंजीवनी बूटी के बारे में रामायण में भी उल्लेख है. जब लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण को तीर मारकर मूर्छित कर दिया था. उन्हें ठीक करने के लिए हनुमान द्रौणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लेने गए थे. संजीवनी बूटी से ही लक्ष्मण होश में आए थे. इसी वजह से संजीवनी बूटी का धार्मिक महत्व भी है.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 15:12 IST
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