Rajasthan: पक्षियों के लिए बना दिया कुतुब मीनार! नागौर की इस महिला ने किया कमाल, जानिए पूरी कहानी

नागौर: बहुत से ऐसे लोग हैं जो पशु-पक्षियों के लिए अपना पूरा जीवन लगा देते हैं. नागौर जिले में एक महिला पक्षी प्रेमी ने अनोखा काम किया, जिन्होंने पक्षियों के रहने के लिए घर बनाया था. इस पक्षी प्रेमी ने पक्षियों के एक जगह बैठने और दाना चुगने के लिए यह दो मंजिला कबूतर खाना बनाया है. इस कबूतर खाने में सैकड़ों पक्षी एक साथ बैठ सकते हैं.
कबूतर खाने का इतिहासनागौर-कुचामन जिले के नावां रोड पर बसे छोटे से गांव मिंडा में 50 साल पूर्व पक्षी प्रेमी नाथी देवी पाटनी ने अपने निजी खर्चे से पक्षियों के रखरखाव व देखभाल के लिए गांव के मुख्य बाजार पर दो मंजिला कबूतर खाना बनवाया था. आज यह कबूतर खाना गांव की शान बढ़ाता है. यह कबूतर खाना गांव की मुख्य जगह में शामिल हो चुका है. रोजाना सुबह दर्जनों लोग पक्षियों को दाना खिलाने के लिए इस कबूतर खाने पर आते हैं.
कबूतर खाना क्या होता हैकबूतर खाना कुतुबमीनार की तर्ज पर बना एक बहुमंजिला गोलाकार महल होता है, जिसमें चारों तरफ से हवा आती है और खास बात यह है कि इस मीनार में किसी भी दिशा से पक्षी आसानी से आ और जा सकते हैं. पक्षियों में सबसे ज्यादा कबूतर इस मीनार पर आते हैं, इस कारण इस जगह को कबूतर खाना कहा जाता है. इस मीनार के अंदर कबूतर सहित अनेक पक्षी घोंसला बनाकर रहते भी हैं.
कबूतर खाने का निर्माणजैन धर्मावलंबी महिला भामाशाह नाथी देवी पाटनी जीवन में गौ रक्षा व पक्षियों के प्रति दया भाव रखती थीं. महिला पाटनी कम उम्र में ही विधवा हो जाने के बाद उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन जीव प्रेम में ही लगा दिया. 50 साल पहले एक दिन जब वे रास्ते से जा रही थीं तो एक चिड़िमार ने जाल में अनेक कबूतरों को फंसा रखा था. नाथी देवी के अनेक बार मिन्नतें करने पर भी चिड़िमार ने उन्हें नहीं छोड़ा.इसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि जमीन की बजाय अगर पक्षियों के लिए एक ऊंचाई पर जगह बना दी जाए जहां पर वे सुरक्षित रहें तो उनकी जान को खतरा नहीं रहेगा. तब उन्होंने गांव में पक्षियों की देखभाल व दाना-पानी के लिए कबूतर खाना बनवाया.
नाथी देवी पाटनी का जीवन परिचयनाथी देवी पाटनी के परिवार वालों ने लोकल 18 को बताया कि नाथी देवी सेठ सोहनलाल पाटनी की धर्मपत्नी थीं जो जीवों के प्रति प्रेम रखती थीं. उनका पीहर बधाल-जयपुर में था व ससुराल मिंडा-नागौर में था. बहुत कम उम्र में ही विधवा होने पर नाथी देवी पाटनी ने अपना संपूर्ण जीवन गौ रक्षा व पक्षियों को समर्पित कर दिया. उन्होंने गांव में ही गायों की रक्षा के लिए श्री महावीर गौशाला, पशु चिकित्सालय व कबूतर खाना बनवाया था. आपको बता दें कि कुछ साल पहले नाथी देवी का देहांत हुआ है. आज भी पूरा गांव महिला भामाशाह पाटनी को अदब से याद करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 12:10 IST