This wonderful coincidence is happening after 72 years in Sawan, what is Sahastradhara and Rudrabhishek, what is its importance in Sawan
काजल मनोहर/जयपुर:- भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का प्रिय माह सावन की शुरुआत 22 जुलाई को होगी. इस बार सावन सोमवार से होकर सोमवार के दिन ही समाप्त होगा. सावन में इस बार पांच सोमवार आएंगे और यह अद्भुत संयोग 72 साल बाद बन रहा है. इस बार सावन महीने में कई विशेष योग- संयोग भी रहेंगे. शिव महापुराण कथा में शिव भक्तों को शिव से जुड़े प्रसंग सुनाकर विशेष झांकियां सजाई जाएगी.
पूरे महीने होगा शिव का अनुष्ठानपंडित घनश्याम शर्मा ने लोकल18 को बताया कि पूरे सावन माह में शिव मंदिरों में सहस्त्रधाराओं के साथ, जलाभिषेक, पंचामृत, दुग्धाभिषेक, गंगाजल, गन्ने के रस आदि से भगवान शिव और उनके परिवार का अनुष्ठान होगा. सावन के पहले सोमवार को पुष्कर और हरिद्वार से पवित्र जल लाकर शिवजी पर चढ़ाया जाएगा. बेलपत्र, शमी, गुलाब, धतूरा, आंकड़े के फूलों से सुशोभित किया जाएगा. जयपुर के ताड़केश्वर, झारखंड महादेव, धूलेश्वर, अम्बिकेश्वर, ओंडा महादेव, सदाशिव ज्योर्तिलिंगेश्वर, रोजगारेश्वर सहित अनेक शिव मंदिरों में भी कार्यक्रम आयोजित होंगे.
क्या होता है सहस्त्रधारा व रुद्राभिषेकपंडित घनश्याम शर्मा ने Local18 को आगे बताया कि उपनिषद् और पुराणों में सहस्त्रधारा व रुद्राभिषेक की महिमा का वर्णन है. रुद्राभिषेक करीब सवा घंटे और सहस्त्रधारा अनुष्ठान तीन घंटे में सम्पन्न होता है. सावन की शुरुआत पर सर्वार्थ सिद्धी योग, प्रीति योग, आयुष्मान योग रहेंगे. भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाएगी. इससे सुख समृद्धि बढ़ते हैं.
सावन के सोमवार में श्रद्धा से करने पर साधक को मनचाहा वर या वधु प्राप्त होता है. व्रत रखने से चंद्रमा की स्थिति ठीक होती है और राहु-केतु के प्रभाव दूर होते हैं. सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है. प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है. शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है. सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है.
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FIRST PUBLISHED : July 21, 2024, 15:52 IST
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