म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों, ये तो जान लो कि डिविडेंड मिलेगा या नहीं?
नई दिल्ली. आजकल म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना एक फैशन हो गया है. हालांकि इनमें निवेश करना अच्छा और फायदेमंद भी है. लॉन्ग टर्म में निवेश करने वालों के लिए तो म्यूचुअल फंड से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आता, क्योंकि शेयर बाजार से लिंक्ड इक्विटी फंड 12-15 प्रतिशत तक का रिटर्न देते हैं. परंतु इसमें निवेश करने वाले लोग नहीं जानते कि म्यूचुअल फंड्स से डिविडेंड भी मिलता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि आमतौर पर लोग इसे लम्बे समय में बड़ा पैसा बनाने का साधन मानते हैं. आज हम इनके डिविडेंड के विषय में ही बात कर रहे हैं.
म्यूचुअल फंड्स की कई श्रेणियां हैं. मगर पैसा बनाने की दृष्टि से इसे 2 मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है- 1. डिविडेंड ऑप्शन, और 2. ग्रोथ ऑप्शन. जब आप कोई म्यूचुअल फंड स्कीम लेते हैं, तब आपको यह तय करना होता है कि आपको डिविडेंड लेना है या फिर ग्रोथ में रहना है. दोनों ही ऑप्शन पैसा बनाकर देते हैं. सभी फंड हर तिमाही में डिविडेंड देते हैं. ग्रोथ ऑप्शन में डिविडेंड को फिर से (ऑटोमेटिकली) उसी स्कीम में निवेश कर दिया जाता है. मगर डिविडेंड ऑप्शन में हर तिमाही पर मिलने वाला डिविडेंड निवेशक के बैंक अकाउंट में आ जाता है. आप एक ही स्कीम में इन दोनों में से कोई एक ऑप्शन ऑप्ट कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें – ये है 4 भुजाओं वाला म्यूचुअल फंड, निवेशकों को देता है मुनाफे का ‘आशीर्वाद’
क्या होता है डिविडेंड ऑप्शन में?रेगुलर इनकम पाने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए डिविडेंड बेहतर है. क्योंकि इसमें फंड की कमाई का कुछ हिस्सा लाभांश के तौर पर सीधा निवेशक को मिलता रहता है. यह मासिक या तिमाही हो सकता है. डिविडेंड देने वाले ऑप्शन में एनएवी (NAV) कम होती है, क्योंकि लगातार डिविडेंड देने के बाद फंड की कुल वैल्यू घट जाती है. जबकि ग्रोथ ऑप्शन में इसके उलट होता है. इस ऑप्शन के तहत जो भी डिविडेंड मिलते हैं, वे इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं.
ग्रोथ ऑप्शन के क्या-क्या?जैसा कि आप जान चुके हैं कि इसमें फंड की होने वाली कमाई वापस उसी फंड में निवेश की जाती है. तो ऐसे में जो भी डिविडेंड निवेशक को सीधे मिलने की बजाय फिर से निवेश हो जाता है. इसी में कम्पाउंडिंग ग्रोथ भी होती है. मतलब चक्रवृद्धि. आपके मूल पर तो कमाई हो ही रही होती है, मूल की कमाई पर भी कमाई होती है. इसमें आपको एनएवी ऊंची मिलती है, क्योंकि कमाई को फिर से निवेश कर दिया जाता है तो फंड की ओवरऑल वैल्यू बढ़ जाती है. एनएवी का भाव ऊपर चला जाता है. इसमें निवेशक को कैपिटल गेन टैक्स देना होता है, वह भी तब, जब वह फंड को रिडीम करता है. यह टैक्स आमतौर पर डिविडेंड ऑप्शन के तहत लगने वाले टैक्स से कम होता है.
तो मैं कौन-सा ऑप्शन चुनूं?अहम सवाल तो यही है कि आपको कौन सा विकल्प चुनना चाहिए. यदि आप लम्बे समय के लिए निवेश कर रहे हैं और अपनी पूंजी में बढ़ोतरी देखना चाहते हैं तो ग्रोथ ऑप्शन चुनना चाहिए, क्योंकि इसमें कंपाउंडिंग की पावर से पैसा बहुत अधिक बढ़ता है.
यदि आप शॉर्ट टर्म के लिए निवेश कर रहे हैं, या फिर आप रेगुलर इनकम बनाने के उद्देश्य से पैसा डाल रहे हैं तो डिविडेंड ऑप्शन बेहतर होगा. इसमें निवेशक को लगातार कैश मिलता रहता है. हालांकि पूंजी बढ़ नहीं पाती.
Tags: Investment scheme, Investment tips, Money Making Tips, Mutual fund, Mutual fund investors, Mutual funds
FIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 13:22 IST