राजस्थान के इस मंदिर को बचाने के लिए हजारों पल्लीवाल ब्राह्मणों ने दी थी अपनी आहुति, जानें कहानी-Thousands of Palliwal Brahmins sacrificed their lives to save this temple of Rajasthan, know the story

पाली. राजस्थान जो कि अपनी मान्यता और विरासत के अलावा यहां पर बने मंदिरों की मान्यताओं के लिए पूरे विश्वभर में पहचान रखता है. ऐसे कई मंदिर पूरे राजस्थान में है जो अपनी अलग ही दास्तान बयां करते हैं. ऐसे ही एक मंदिर की हम आपको जानकारी देंगे जो राजस्थान के पाली में स्थापित है और करीब 1200 वर्ष पुराना मंदिर है जिसको सोमनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है.
क्या आपको पता है कि इस मंदिर की स्थापना के बाद जब इस मंदिर पर संकट आया और इस चमत्कारी शिवलिंग को नसीरूद्दीन ने तोड़ना चाहा तो हजारों पल्लीवाल ब्राह्मणों ने अपना बलिदान देकर इस मंदिर और शिवलिंग की रक्षा करने का काम किया था. मंदिर की सुरक्षा के लिए दिए गए इन पल्लीवाल ब्राह्मणों के बलिदान को आज भी पाली के लोग याद करते हैं. आइये आप भी जानिए पल्लीवाल ब्राह्मणों की दास्तान जिन्होने मंदिर की सुरक्षा के लिए शहीद हो गए थे.
पल्लीवाल ब्राह्मणों ने ऐसे की इस शिवलिंग की रक्षाकहते हैं कि नसीरूद्दीन ने इस शिवलिंग को तोड़ना चाहा. लेकिन पाली के हजारों पल्लीवाल ब्राह्मण उनसे टकरा गए. जिमसें हजारों पल्लीवाल ब्राह्मणों ने बलिदान देकर मंदिर के गर्भगृह की सभी प्रतिमाओं को बचा लिया. जो मंदिर की सुरक्षा करते हुए शहीद हुए उनकी नौ मन जनेऊ को मंदिर के पास ही एक बावड़ी में डाल कर उसे बंद कर दिया गया. जो आज धौला चौतरा के जूझांरजी के नाम से प्रसिद्ध हैं. आज इस मंदिर के प्रति के प्रति बलिदान देने वाले उन पल्लीवाल ब्राह्मणों का बलिदान कोई नही भूलता.
मंदिर को किया था क्षतिग्रस्तसन 1298 में गुजरात जाते समय अलाउद्दीन खिलजी ने सोमनाथ महादेव मंदिर के शिखर पर तोप का गोला दाग क्षतिग्रस्त कर दिया था. वर्ष 1315 में रावसिंहा के कार्यकाल में पालीवाल ब्राह्मणों ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया तथा मंदिर को शिखर को ईटों से फिर से निर्माण करवाया. वर्ष 1330 में नसीरूद्दीन ने पाली पर हमला कर दिया. मंदिर को बचाने के लिए पल्लीवाल ब्राह्मणों ने अपना बलिदान दिया. वर्ष 1349 में फिरोजशाह जलालुद्दीन ने पाली को लूटा. सोमनाथ मंदिर में दो छोटी मिनारों का निर्माण करवाया. जिसके अवशेष 1947 के बाद नष्ट कर दिए गए.
पल्लीवाल ब्राह्मणों के बाद इन्होंने संभाली थी मंदिर की व्यवस्थाकहते हैं कि वर्ष 1350 में पल्लीवाल ब्राह्मणों के पलायन के बाद नाथ सम्प्रदाय ने मंदिर की व्यवस्था संभाली. वर्ष 1600 में नाथ सम्प्रदाय के महंत भोलानाथ ने पूजा व्यवस्था रावल ब्राह्मण परिवार को सौंपी और समाधि ले ली. सोमनाथ महादेव मंदिर में सन 1800 में घी की अखंड ज्योत शुरू की गई जो आज भी प्रज्जवलित हैं. वर्ष 1970 में राजस्थान के देवस्थान विभाग ने मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा लिया.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 06:31 IST