निर्जला एकादशी व्रत पर बन रहे हैं तीन शुभ संयोग, भगवान विष्णु को इस रंग के कपड़े से लगाएं भोग, होगी धन की प्राप्ति, Three auspicious coincidences are being formed on Nirjala Ekadashi fast offer food to Lord Vishnu with this coloured cloth you will get wealth
जाेधपुर. हिन्दू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. सभी 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत रखता है, उसे सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से और निर्जला उपवास रखने से विशेष लाभ मिलता है. इससे जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि उदया तिथि के अनुसार 18 जून 2024 यानि आज निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा. इस व्रत का बड़ा महत्व है.
निर्जला एकादशी पर बन रहे शुभ योगज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन व्रत करने से सालभर की एकादशी का पुण्य मिल जाता है. महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी पर व्रत किया था. इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी पर पूरे दिन पानी नहीं पिया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं. इस बार शिव योग और सिद्ध योग के साथ ही त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं.
निर्जला एकादशी पर तुलसी पूजन का है विशेष महत्व
भविष्यवक्ता और कुंडली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि तुलसी की पूजा हिंदू धर्म में काफी समय पहले से चली आ रही है. हिंदू घरों में तुलसी के पौधे की खास पूजा की जाती है. सभी एकादशी के दिन तुलसी की खास पूजा की जाती है. वहीं निर्जला एकादशी की यदि बात करें तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है, इसलिए इस दिन तुलसी पूजन का काफी महत्व होता है. तुलसी को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां देवी-देवताओं का वास होता है.
इस पाठ से कंडली के सभी दोष हो जाएंगे समाप्त
डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. निर्जला एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्र का पाठ करने से कुंडली के सभी दोष समाप्त होते हैं. निर्जला एकादशी के दिन भोग में भगवान विष्णु को पीली वस्तुओं का प्रयोग करने से धन की बरसात होती है. निर्जला एकादशी के दिन गीता का पाठ भगवान विष्णु की मूर्ति के समाने बठकर करने से पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना पूरी नहीं होती है. इसलिए निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें.
भूल से भी ना करें ये गलती
कुंडली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि माता तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार एकादशी पर तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए. इससे पाप के भागी बनते हैं क्योंकि इस दिन तुलसी भी एकादशी का निर्जल व्रत करती हैं. साथ ही विष्णु जी को पूजा में अक्षत अर्पित न करें. श्रीहरि की उपासना में चावल वर्जित है.
ये है पूजा की विधि
डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. गवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें. भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें और भगवान की आरती कर भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.
ये है व्रत की विधि
डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म के बाद स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. पूरे दिन भगवान स्मरण-ध्यान व जाप करना चाहिए. पूरे दिन और एक रात व्रत रखने के बाद अगली सुबह सूर्योदय के बाद पूजा करके गरीबों, ब्रह्मणों को दान या भोजन कराना चाहिए. इसके बाद खुद भी भगवान का भोग लगाकर प्रसाद लेना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 10:03 IST
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