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बच्चों को बतायी अपनी असफलता की कहानी, पीएमटी में हो गए थे फेल – हिंदी

रिपोर्ट-शक्ति सिंहकोटा. कोटा अपने बेहतरीन कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की वजह से प्रसिद्ध है. इसे एजुकेशन सिटी कहा जाने लगा है. देशभर से बच्चे यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं. लेकिन हाल के कुछ साल में पढ़ाई के दबाव और सफलता के तनाव के कारण बच्चे लगातार सुसाइड कर रहे हैं. ऐसे हालात में कोटा कलेक्टर की पहल और समझाइश बच्चों को हौंसला दे सकती है.

एजुकेशन सिटी कोटा जहां इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग करने हर साल 2 लाख से अधिक बच्चे पहुंचते हैं. कई बच्चे असफल होते हैं तो कई सफल होते हैं और कुछ स्टूडेंट ऐसे भी होते हैं जो असफल होने के बाद सुसाइड जैसे कदम उठा लेते हैं. उन स्टूडेंट्स के लिए कोटा कलेक्टर डॉक्टर रविंद्र गोस्वामी ने एक पत्र जारी किया है. इसमें उन्होंने अपनी असफलता से लेकर सफलता तक के सफर के बारे में बताया है. उन्होंने बच्चों और अभिभावकों को बताया है कि इंजीनियर या डॉक्टर बनना ही जिंदगी का मकसद नहीं है. हो सकता है भगवान ने आपके लिए कुछ और ही लिखा हो.

असफलता नया मौका देती हैकलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने कोचिंग छात्रों और उनके अभिभावकों को एक पत्र लिखा है. पत्र में लिखा- ”हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठें, वो फूल खिल के रहेंगे, जो खिलने वाले हैं.” इन पंक्तियों के जरिए कलेक्टर ने जीवन के संघर्षों पर विजय और ईश्वर के योगदान की बात कही है. उन्होंने स्टूडेंट्स के लिए लिखा- आप नीट यूजी और जेईई के पेपर देंगे. लेकिन यह ध्यान रखें कि असफलता भी मौका देती है.जीवन में की गई गलतियों से जीतकर ही हम सफल हो सकते हैं. परीक्षा सिर्फ पड़ाव मात्र है, न की मंजिल, इसमें फेल होना जीवन की दिशा निर्धारित नहीं कर सकता.

डीएम ने कहा-फल देना ईश्वर का कामखुद का उदाहरण देते हुए कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने बताया कि पीएमटी में वो फेल हो गए थे. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वो मेहनत करते रहे, क्योंकि फल देना ईश्वर का काम है. भगवान ने हमें किसी एरिया में असफल किया है तो शायद हमारे लिए वे दूसरा रास्ता बना रहे हैं. यह मानकर काम करना चाहिए. केवल एक परीक्षा को आपके लक्ष्य प्राप्ति की कसौटी नहीं माना जा सकता. आप चल रहे हो तो गिरोगे भी, लेकिन सार्थकता तब ही है, जब आप गिर कर उठो और फिर अपनी मंजिल को हासिल करो.

अभिभावकों से कलेक्टर की अपीलकलेक्टर ने पेरेंट्स को लिखे पत्र में कहा बच्चों की परीक्षाएं होने वाली हैं. आपने उन्हें कोटा में रहने के लिए सभी सुविधाएं दी हैं. यह एक समर्पण है. पेरेंट्स के लिए बच्चे की खुशी से बढ़कर कोई और खुशी नहीं हो सकती है, लेकिन समस्या तब खड़ी होती है, जब हम बच्चे की खुशी को उसके किसी परीक्षा में लाए गए नंबरों से जोड़कर देखते हैं. हो सकता है बच्चे ने पूरी मेहनत की हो, लेकिन उस दिन उसका दिन खराब हो, उसका लगाव उस विषय में न हो. उन्होंने पेरेंट्स से अपील की, कि अपने बच्चों को गलती सुधारने का मौका दें.

कलेक्टर हो गए थे फेलकलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा वो पीएमटी में फेल होने के बाद कोटा से वापस चले गए थे. लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें नया मौका दिया. और आज मैं यहां हूं. बच्चे को मौका दीजिए. क्योंकि बच्चा जो भी करेगा, पूरे मन से करेगा और आपके लिए करेगा. अगले कुछ दिन नियमित बात करें और समझाएं कि पूरे विश्व में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो फेल नहीं हुआ. सभी कहीं न कहीं फेल होते हैं. उन्हें यह भी बताएं कि डॉक्टर या इंजीनियर ही सफल हों, ऐसा भी जरूरी नहीं है.

(कितनी ही कहानियां है हमारे आसपास, हमारे गांव में-हमारे शहर में. किसी की सफलता की कहानी, किसी के गिरने की और उसके उठने की कहानी, किसान की कहानी, शहर की किसी परंपरा या किसी मंदिर की कहानी, रोजगार देने वाले की कहानी, किसी का सहारा बनने वाले की कहानी…इन कहानियों को दुनिया के सामने लाना, यही तो है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आसपास की कहानी. हमें वॉट्सऐप करें हमारे नंबर पर, 08700866366.)

Tags: Better education opportunities, Career Guidance, Kota News Update, Local18, Motivational Story

FIRST PUBLISHED : May 1, 2024, 19:26 IST

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