Rajasthan

woman dies on the door of sms hospital of jaipur without oxygen admission

जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल.

जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल.

जयपुर शहर में कोरोना संकट के कठिन समय में इंसानियत की मौत का एक दर्दनाक मंज़र दर्जनों लोगों ने अपनी आंखों से देखा. अस्पताल प्रशासन ने जांच की बात कही है लेकिन सवाल ये है कि ज़रूरतमंद लोग जाएं तो जाएं कहां?

जयपुर. प्रदेश की राजधानी के एसएमएस अस्पताल के बाहर रविवार को इंसानियत ने दम तोड़ दिया. अस्पताल वो जगह होती है, जहां जीवन की आस में लोग आते हैं लेकिन एक ज़िंदगी दम तोड़ती रही और अस्पताल के दरवाजे तक नहीं खुले. ऑक्सीजन नहीं मिलने से टोंक ज़िले की एक युवती की मौत दर्जनों लोगों के सामने हो गई. SMS अस्पताल में 25 साल की एक युवती ने अपने भाई और आसपास लाचार खड़े लोगों की आंखों के सामने तड़पते हुए दम तोड़ दिया. वह हॉस्पिटल के गेट पर एक बेंच पर बैठे-बैठे हाथ जोड़कर कहती रही कि ‘मेरा दम घुट रहा है, मैं मर जाऊंगी, मुझे बचा लो.’ उसे भर्ती करने के लिए इमरजेंसी के गेट नहीं खुले और करीब 15 मिनट के भीतर उसकी मौत हो गई. ये भी पढ़ें : कोटा में एक व्यक्ति ने 9वीं बार प्लाज़्मा डोनेट कर बनाया अनोखा रिकॉर्ड लोग नाराज़, जांच की बातअस्पताल के दरवाज़े पर मौत के इस तांडव से परेशान लोगों में आक्रोश पैदा हो गया. इनमें कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो तक चलाया. फिलहाल इस पूरे मामले में SMS अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेश शर्मा ने घटना की सत्यता की जांच करवाए जाने की बात कही है. मामला तूल पकड़ता दिख रहा है.

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SMS अस्पताल के सामने बेंच पर युवती ने दम तोड़ा.

टोंक से मौत तक का सफ़र!
25 वर्षीया मृतका टोंक ज़िले में निवाई कस्बे में गुंसी गांव की रहने वाली थी. सेहत बिगड़ने पर 90 किलोमीटर का सफर कर एंबुलेंस से जयपुर पहुंची युवती का भाई अस्पतालों के दरवाज़े खटखटाता रहा, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी. इस बीच एसएमएस अस्पताल पहुंचने तक युवती का दम घुटने लगा. ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी, लेकिन यहां कोई मदद नहीं मिली. मृतका के भाई ने बताया कि उसने जयपुर में मालवीय नगर, जगतपुरा, प्रताप नगर में एक ऑटो रिक्शा में बैठाकर पांच अस्पतालों के चक्कर लगाए. बहन को भर्ती करने की गुहार की, लेकिन कहीं बेड और ऑक्सीजन नहीं मिली. पीड़ित भाई के मुताबिक अस्पतालों ने मरीज़ युवती को देखने तक से मना कर दिया. आखिरी घड़ियों से पहले गुहार एसएमएस के इमरजेंसी गेट पर दरवाजा बंद था. यहां गुहार करने पर जवाब मिला था कि सिर्फ RUHS से रैफर मरीज से भर्ती किए जा रहे थे. इस बीच सांसें उखड़ने पर पीड़िता एक बेंच पर बैठकर हाथ जोड़कर लोगों से गुहार करती रही कि ‘मेरा दम घुट रहा है, मुझे बचा लो, मैं मर जाऊंगी..’ आखिरकार उसने बेंच पर दम तोड़ दिया और निढाल होकर गिर पड़ी. भाई फूट फूट कर रोते हुए व्यवस्थाओं को कोसता दिखा.

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SMS अस्पताल प्रशासन ने जांच की बात कही.

‘किसी ने भाई बहन पर दया नहीं की’ पीड़िता को अस्पतालों तक लेकर गए ऑटो ड्राइवर ने इस पूरी घटना के बारे में बताया कि ये भाई बहन गांव से पहुंचे थे. ड्राइवर ने कहा कि उसने ही चार हॉस्पिटलों के चक्कर अपने रिक्शा से लगवाए लेकिन वहां ताले बंद मिले. आखिर तक उम्मीद थी कि उसका इलाज शुरू हो सकेगा और वह बच जाएगी लेकिन इतने चक्कर लगाने के बावजूद पीड़ितों पर किसी ने दया नहीं दिखाई. रिक्शा ड्राइवर के मुताबिक अस्पताल वाले नियमों में उलझे रहे. क्या वीआईपी ही बच पाएंगे? इस घटना से सवाल खड़ा हो रहा है कि गरीब ज़रूरतमंदों के लिए क्या कहीं दवा मिल पाएगी?ऑक्सीजन और इलाज की आस लेकर ये लोग कहां जाएंगे? बता दें कि सप्ताह भर से जयपुर में मरीज़ों की मौतें तेज़ी से हो रही हैं और सिर्फ रसूखदार व अमीर लोगों के लिए ही निजी अस्पतालों के दरवाजे खुले हैं, गरीबों के लिए सरकारी दरवाज़े भी बंद हो चुके हैं.





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