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ऋषभ पंत ने एमएस धोनी की तरह ही खींच दी एक नई लकीर – rishabh pant made a new line just like ms dhoni | – News in Hindi

बेंगलुरु का चिन्नास्वामी स्टेडियम वही मैदान है जहां पर महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने अपने करियर का 30वां टेस्ट मैच खेला था. ये महज इत्तेफाक है कि धोनी के उत्तराधिकारी माने जाने वाले ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने भी अपने करियर का 30वां टेस्ट मैच उसी चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला, लेकिन धोनी और पंत के करियर की समानता बस इसी इत्तेफाक पर ही खत्म हो जानी चाहिए. अब तक पंत के करियर में उन्हें हर वक्त महान धोनी के साथ हर डग पर बेवजह की तुलना से गुजरना पड़ा. लेकिन, दिल्ली के पंत इससे विचलित नहीं हुए. पंत ने वही किया जो एक असाधारण खिलाड़ी करता. पंत ने अपने लिए बिल्कुल एक नयी लकीर खींच दी है. पंत ने पहली अपनी अनूठी बल्लेबाजी शैली से दुनिया को ये दिखाया कि वो भी धोनी की ही तरह ओरिजनल हैं, किसी की कॉपी नहीं.

धोनी और पंत में हमेशा ही रहा एक खास अंतर

दरअसल, बुनियादी तौर पर ही धोनी और पंत में एक खास अंतर रहा है. अगर धोनी दायें हाथ के बल्लेबाज थे तो पंत बायें हाथ के हैं. अगर धोनी ने अपना परचम पहले सफेद गेंद की क्रिकेट में लहराया तो पंत को लाल गेंद से आशिकी थी. धोनी को कप्तानी अचानक और इत्तेफाक से मिली तो पंत को आईपीएल में जबरदस्ती कप्तानी दी गयी, जबकि दिल्ली के पास श्रैयय्स अय्यर का विकल्प भी मौजूद था. धोनी ने झारखंड की कभी कप्तानी नहीं की तो पंत ने रणजी ट्रॉफी के कुछ मैचों में ही कप्तानी करने के बाद तौबा-तौबा कर लिया. कहने का सार ये है कि आप चाहे लाखों बार पंत और धोनी को एक ही चश्मे से देखने और उनकी तुलना करने की कोशिश करें लेकिन हकीकत यही है कि दोनों की राह अलग रही है और खेलने का अंदाज भी एकदम अलग सा रहा है. भले ही दोनों के आदर्श ऑस्ट्रेलियाई के दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्‍ट क्यों ना रहें हों.

पहले 30 मैचों में धोनी-पंत का सफर

पहले 30 मैचों में धोनी का टेस्ट औसत करीब 33 और स्ट्राइक रेट (हर 100 गेंद पर रन बनाने की रफ्तार) 62 का रही, जबकि पंत ने 40 से ज़्यादा की औसत से रन 70 से भी ज़्यादा की स्ट्राइक रेट से बनाये हैं. आंकड़े इस बात को बिलकुल कहने में नहीं हिचक रहें है कि धोनी के मुकाबले टेस्ट क्रिकेट में पंत काफी बेहतर बल्लेबाज के तौर पर अपनी धाक कम समय में जमा चुके हैं और तो और धोनी ने इस दौरान सिर्फ 1 टेस्ट शतक बनाया था. जबकि पंत 4 शतक जमा चुके हैं, लेकिन सबसे निर्णायक बात जो पंत को अब तक के करियर में ना सिर्फ धोनी बल्कि कई भारतीय दिग्गजों से जुदा करती है है वो है उनका बेपरवाह रवैया. वो आंकड़ों की बिल्कुल परवाह नहीं करते हैं. अगर ऐसा होता तो अब तक 9 अर्धशतकों में से 5 अर्धशतक ऐसे नहीं होते जहां पर सिर्फ थोड़े से रन और थोड़ी सी किस्मत की मदद उन्हें 6 और शतक का मालिक बना देती. 2018 में 92 और 92 लगातार दो पारियों में, 2021 सिडनी में 97, ब्रिसबेन में नाबाद 89, और चेन्नई में 91, ये तीन पारियां सिर्फ एक महीने के भीतर और मोहाली में हाल ही में फिर से 96. अब ज़रा सोचिये कि 30 टेस्ट में 10 शतक होते तो पंत कहां होते.

टेस्ट क्रिकेट में पंत का ख़ौफ बेजोड़

बहरहाल 10 शतक नहीं होने के बावजूद टेस्ट क्रिकेट में पंत का ख़ौफ आज गेंदबाजों के सिर पर ठीक वैसा ही जैसा कि किसी दौर में वेस्टइंडीज के विवियन रिचर्ड्स, ऑस्ट्रेलिया के गिलक्रिस्ट और भारत के ही वीरेंद्र सहवाग का हुआ करता था. ये वो दिग्गज खिलाड़ी हैं जिन्हें क्रिकेट कभी भी उनके आंकड़ों के लिए नहीं बल्कि उनके अंदाज के लिए याद करता है. पंत भी उसी श्रैणी वाले जि‍ंदादिल खिलाड़ी के तौर पर अब तक उभरकर सामने आए हैं.

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अब दस्ताने से भी कमाल

श्रींलका के खिलाफ 2 मैचों की सीरीज में पंत ने ना सिर्फ अपने बल्ले बल्कि अपने दस्ताने से भी कमाल दिखाया. यही वजह है कि उन्हें प्‍लेयर ऑफ द सीरीज़ का पुरस्कार भी मिला. पंत की बल्लेबाजी की आभा में अक्सर उनकी शानदार कीपिंग की चर्चा दब जाती है और ऐसा इसलिए क्योंकि धोनी की ही तरह वो करियर के शुरुआत में बेहद उम्दा विकेटकीपर नहीं थे. लेकिन, बल्लेबाजी के आत्मविश्वास ने उनकी कीपिंग योग्यता को भी एक अलग मजबूती दी है. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के मौजूदा दौर में पंत से ज़्यादा शिकार किसी विकेटकीपर ने नहीं किये हैं. इतना ही नहीं एक टेस्ट में 11 शिकार करने वाले वो साझा तौर पर दुनिया के 3 विकेटकीपर में भी शुमार है. ऐसे रिकॉर्ड पर अक्सर फैंस का ध्यान जल्दी नहीं जाता है.

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अब पंत के सामने एक नई चुनौती

अब पंत के सामने एक नई चुनौती है. अगले 2 महीने आईपीएल में वो किस तरह की कप्तानी करते हैं, उसके चलते भविष्य में टीम इंडिया की कप्तानी के लिए उनका दावा मज़बूत होगा. रोहित शर्मा भले ही फिलहाल तीनों फॉर्मेट में कप्तानी की भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन जल्‍द ही भारत को पंत, केएल राहुल और जसप्रीत बुमराह में से किसी एक का चयन नियमित टेस्ट कप्तान के तौर पर करना होगा. रोहित को चयनकर्ता सफेद गेंद की जिम्मेदारी पूरी तरह से उठाने का भार देंगे और यही मौका पंत के लिए चौका लगाना वाला हो सकता है. अगर पंत को धोनी की ही तरह टेस्ट कप्तानी भी मिलती है तो इस बात की संभावना है कि वो उस क्षेत्र में भी टीम इंडिया के पूर्व कप्तान से हटकर अपनी एक अलग छवि बनाने में कामयाब हो सकते हैं.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

विमल कुमार

विमल कुमार

न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.

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