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Udaipur: श्मशान दिल्ली दरवाजे के बाहर क्यों था? रोचक है उदयपुर के 9 दरवाजों का रहस्य, आप जानते हैं?

रिपोर्ट – निशा राठौर

उदयपुर. झीलों के लिए मशहूर राजस्थान की पर्यटन नगरी उदयपुर अगर आप गए होंगे तो ज़रूर यहां के कुछ पुराने दरवाज़ों ने आपका ध्यान खींचा होगा. चांदपोल, सूरजपोल, हाथीपोल या उदियापोल जैसे इलाके और बाज़ारों से भी आपका गुज़र हुआ होगा. आपके मन में यह सवाल भी आया होगा कि इन दरवाज़ों का इतिहास क्या है? क्यों इन इलाकों को इस तरह के नाम दिए गए? पूरे शहर में ऐसे 9 दरवाज़ों का ऐतिहासिक महत्व है और इनसे जुड़ी कहानियां भी हैं. आपको ये रोचक फैक्ट्स जानने चाहिए ताकि आप शहर के इतिहास के साथ ही भूगोल से भी वाकिफ हो सकें.

राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में ख़ास तौर पर चितौड़ और उदयपुर ज़िले ऐतिहासिक नज़रिये से काफ़ी महत्वपूर्ण रहे हैं. मेवाड़ के महाराणाओ ने कभी भी मुग़लों या तुर्की राजाओं की गुलामी स्वीकार नहीं की. जब भी कोई हमला हुआ, तो मरुधरा के शूरवीरों ने अक्सर उन्हें घुटनों के बल ला खड़ा किया. इतिहासकार बताते हैं मेवाड़ की सुरक्षा के लिए उदयपुर शहर के चारों ओर महाराणा हरि सिंह के समय में मराठाओं के आक्रमण से बचने के लिए शहर कोट और 9 दरवाज़ों का निर्माण प्रधानमंत्री अमरचंद बढ़ावा द्वारा कराया गया था. इनमें मुख्य रूप से सूरजपोल, हाथीपोल, दिल्ली दरवाजा, चांदपोल, किशनपोल, उदियापोल, दंडपोल, रामपोल, ब्रह्मपोल आदि का महत्व ऐतिहासिक रूप से रहा है और इनके साथ कई किस्से भी जुड़े हुए हैं.

आख़िर क्यों दिल्ली दरवाज़े से मौत के बाद जाते थे?

इतिहासकार प्रोफेसर चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि उदयपुर स्थित दिल्ली दरवाजे का यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उसी दिशा में दिल्ली का रास्ता है. मेवाड़ के महाराणाओं ने कभी किसी मुग़ल शासक की गुलामी को स्वीकार नहीं किया था. उनका मनना था कि दिल्ली की तरफ तो केवल मरने के बाद ही जाना है इसलिए मौत के बाद ही दिल्ली दरवाज़े से उन्हें श्मशान ले जाया जाता था. जोशी के अनुसार इसलिए श्मशान को भी शहर कोट के बाहर से दिल्ली दरवाजे की तरफ बनाया गया था. बाकी दरवाज़ों को उनके नाम कैसे मिले? ये भी जानिए.

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सूरजपोल – कहा जाता है कि शहर में यहां सूर्य की पहली किरण पड़ती है इसलिए इसका नाम सूरजपोल रखा गया था.

चांदपोल – माना जाता है चंद्रमा दक्षिण दिशा से उदय होता है इसलिए इस दरवाज़े का नाम चांदपोल रखा गया.

दंडपोल – बताते हैं कि जब भी किसी नागरिक को देश निकाला या नगर से बेदखल किया जाता था, तब एक मार्ग निर्धारित था. इसी रास्ते से दोषी को बाहर किए जाने के कारण इस दंडपोल कहा जाने लगा.

हाथीपोल – उस समय महाराणा और मेवाड़ में आने वाले सभी लोगों के लिए हाथियों को रखने की जगह निर्धारित थी, वहीं हाथियों को रखा जाता था.

उदियापोल – महाराणा उदय सिंह के नाम पर इस पोल का नाम है क्योंकि उन्होंने यह शहर बसाया था.

किशनपोल – भगवान कृष्ण के मंदिर जाने के रास्ते पर इस पोल का निर्माण करवाया गया क्योंकि उदयपुर में कृष्ण अवतार जग्गनाथ का जगदीश मंदिर और श्रीनाथ जी मंदिर है.

रामपोल – मेवाड़ के वंशज भगवान श्री राम के वंशज माने जाते हैं इसलिए भगवान राम के नाम पर इस पोल का निर्माण हुआ.

ब्रह्मपोल – भगवन ब्रह्मा के मंदिर पुष्कर जाने के लिए मार्ग निर्धारित था. इस रास्ते पर बनवाए गए पोल को यह नाम दिया गया.

Tags: History, Udaipur news

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