Uncertainty In The Afghanistan Increases As Least Presence Of US – अफगानिस्तान में आक्रामक हो रहा है तालिबान, असमंजस की स्थिति में अफगान सेना

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के ऐलान के अनुसार फौज वापसी 31 अगस्त तक पूरी हो जाएगी। ऐसे में आने वाला समय और कठिन हो सकता है।
वाशिंगटन। अमरीका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की सेना अब अपनी बची-खुची मौजूदगी को भी खत्म करने की कोशिश में है। गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के ऐलान के अनुसार फौज वापसी 31 अगस्त तक पूरी हो जाएगी। इस बीच तालिबान का रुख और आक्रामक होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल सभी का ध्यान हेलमांद प्रांत की राजधानी लश्कर गाह पर कब्जे के लिए अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच चल रही लड़ाई पर है।
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कई प्रमुख राजमार्गों पर तालिबान की पकड़
लश्कर गाह रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्र है। कंधहार और हेरात के बीच में आता है। यह देश का प्रमुख कृषि इलाका है। कूटनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार अगर तालिबान का लश्कर गाह पर कब्जा हो गया, तो देश के 34 प्रांतों में उसके नियंत्रण में आने वाली ये पहली प्रांतीय राजधानी होगी। अब तक देश के कई प्रमुख राजमार्गों पर तालिबान ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। बीते शनिवार को सामने आए एक वीडियो से संकेत मिले हैं कि तालिबान का लश्कर गाह और वहां के हवाई अड्डे को जोड़ने वाली एक अहम सड़क पर कब्जा हो चुका है।
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16 में 13 जिलों पर अब तालिबान का कब्जा
अमरीकी सेना के अनुसार उसके 95 फीसदी सैनिक अफगानिस्तान से अब तक लौट गए हैं। इसका मतलब है कि अब अफगानिस्तान में अमरीकी सेना की प्रतीकात्मक मौजूदगी ही बची है। तालिबान ने इसका पूरा लाभ उठाया है। अमरीकी पत्रिका-लॉन्ग वॉर जर्नल ने एक ताजा अनुमान में कहा है कि हेरात प्रांत के 16 में 13 जिलों पर अब तालिबान का कब्जा हो चुका है। उसने ज्यादातर इलाकों पर कब्जा जुलाई माह में किया। जर्नल के अनुसार देश के 223 जिलों पर अब तालिबान का नियंत्रण है। 116 जिलों पर कब्जे को लेकर उसकी अफगान बलों के साथ तेज लड़ाई जारी है।