Rajasthan

चट्टान पर मिस्‍ट्री साइन, पता चलते ही शुरू हुई खुदाई, 200000 साल पुराने रहस्‍य का खुला भेद, यकीन करना मुश्किल – unusual markings on rock excavation starts expert unveil 200000 year old mystery direct stone age connection weird news

जयपुर/नई दिल्‍ली. भारत विविधताओं के साथ ही विचित्र और अजब-गजब चीजों से भी भरापुरा देश है. ऐतिहासिक रूप से समृद्ध राजस्‍थान में एक बार फिर से मानव इतिहास से जुड़े बड़े रहस्‍य को सुलझाने वाले साक्ष्‍य मिलने का दावा किया गया है. घने जंगल में खुदाई के दौरान ऐसी-ऐसी चीजें मिली हैं, जिनके तार 200000 साल पुरानी मानव सभ्‍यता से जुड़ने की बात कही जा रही है. घने जंगलों में चट्टान पर विचित्र निशानी मिलने के बाद विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंची और खुदाई शुरू कर दी थी. इसके बाद वहां हजारों साल पुरानी चीजों का निकलना शुरू हो गया है. खुदाई का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, मानव इतिहास की परतें उसी तरह खुलती गईं. यहां मिली चीजों को भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को सौंप दी गई है, ताकि इसपर आगे और रिसर्च किया जा सके.

चित्तौड़गढ़ जिले के एक गांव में हाल ही में स्‍टोन एज (पाषाण युग) की रॉक पेंटिंग्‍स और अन्‍य ऐतिहासिक चीजें मिली हैं. यह इस इलाके में प्राचीन मानव इतिहास पर नई रोशनी डाल सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आलनिया नदी से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह पाषाण युग की नक्काशी के केंद्र के रूप में हाड़ौती और चित्तौड़गढ़ के प्राचीन इतिहास के महत्व को बढ़ाने वाला है. जानकारी के अनुसार, पिछले सप्ताह तीन स्थानीय लोगों को रावतभाटा के अमरपुरा गांव के पास घने जंगली इलाके में एक चट्टान पर असामान्य निशान मिले थे. सूचना मिलने के बाद, कोटा में महर्षि हिस्ट्री इंस्टीट्यू के इतिहासकार तेज सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे.

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2 लाख साल पुराना मानव इतिहासतेज सिंह ने चट्टानों पर कप के आकार की नक्काशी और एक मोर्टार ओखली मिली जिसका उपयोग संभवत: मानव द्वारा भोजन पीसने के लिए किया जाता था. तेज सिंह ने बताया कि चट्टानों पर कप के निशान, गोलाकार निशान प्रारंभिक पाषाण युग के लोगों की विशेषता हैं, जो संभवतः 35,000 से 200,000 साल पुराने हैं. तेज सिंह के अनुसार, यह राजस्थान में मानव निवास का सबसे पुराना साक्ष्य हो सकता है. उन्होंने इस स्थान की तुलना साल 2003 में की गई इसी तरह की खोज से की जो यहां से सिर्फ 200 मीटर दूर है. इस जगह मिले 2.4 किलोग्राम वजनी मोर्टार ओखली और नुकीले पत्थरों से लगता है कि शुरुआती निवासियों ने जंगली अनाज, मेवे और फलियां पकाने के लिए इन उपकरणों का इस्तेमाल किया होगा.

ASI करेगा रिसर्चइतिहास मामलों में उन्होंने बताया कि इन साक्ष्यों और निष्कर्षों को आगे की जांच पड़ताल के लिए जोधपुर में ASI और पुरातत्व संग्रहालय विभाग के साथ साझा किया गया है. डीएएम के पूर्व अधीक्षक पुरातत्वविद जफरुल्ला खान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाड़ौती तथा पड़ोसी मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र पाषाण युग के मानव बस्तियों के प्रमुख केंद्र थे. उन्‍होंने कहा, ‘यह खोज आलनिया और चंबल नदियों के किनारे की पिछली खोजों से मेल खाती है.’ उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र का संरक्षण करने और प्रारंभिक मानव जीवन के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर उत्खनन प्रयास शुरू करने का आह्वान किया. यूनेस्को के अनुसार, चंबल घाटी और मध्य भारत दुनिया भर में पाषाण युगीन कला स्थलों के सबसे बड़ा है.

Tags: National News, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 21:49 IST

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