IVF से किस उम्र तक बन सकते हैं पैरेंट्स? यह प्रोसेस कितनी कारगर, डॉक्टर से आसान भाषा में समझें
All About IVF Process: आज के जमाने में खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खान-पान से लोगों की फर्टिलिटी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इस वजह से बड़ी संख्या में लोगों को बच्चे पैदा करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. संतान सुख में बाधा आने पर लोग आईवीएफ का सहारा ले रहे हैं. कई लोगों को आईवीएफ के बारे में जानकारी नहीं होती है और इस वजह से उनका पैरेंट्स बनने का सपना टूट जाता है. आज फर्टिलिटी एक्सपर्ट से जानेंगे कि IVF प्रोसेस क्या है और किस उम्र के लोगों के लिए यह तकनीक फायदेमंद साबित हो सकती है.
चंडीगढ़ के जिंदल आईवीएफ सेंटर की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. शीतल जिंदल ने को बताया कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक रिप्रोडक्शन तकनीक है, जिसका इस्तेमाल प्राकृतिक रूप से गर्भधारण न करने वाले कपल्स के लिए किया जाता है. इस प्रोसेस में महिला के एग्स को लैब में पुरुष के स्पर्म के साथ मिलाया जाता है. फिर लैब में बनाए गए भ्रूण को गर्भाशय में रख दिया जाता है. आईवीएफ तकनीक उन कपल्स के लिए कारगर है, जो नेचुरल तरीके से बच्चा करने में असमर्थ हैं. इनफर्टिलिटी से जूझ रहे लोग भी आईवीएफ के जरिए माता-पिता बन सकते हैं.
डॉक्टर ने बताया कि अगर किसी महिला के गर्भाशय में कोई समस्या है, जिसकी वजह से बच्चे नहीं हो रहे हैं, तो आईवीएफ उनके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. जिन पुरुषों के स्पर्म की क्वालिटी खराब है या स्पर्म काउंट बेहद कम है, वे भी संतान सुख के लिए आईवीएफ का सहारा ले सकते हैं. कई बार महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ एग्स की क्वालिटी कम हो जाती है. ऐसे में आईवीएफ का उपयोग एग्स की क्वालिटी में सुधार करने के लिए किया जा सकता है. आईवीएफ तकनीक के जरिए ज्यादा उम्र में भी संतान सुख पाया जा सकता है. हालांकि इस प्रोसेस से बच्चा होने की भी कई कंडीशन होती हैं.
IVF के जरिए बच्चे किस उम्र तक पैदा हो सकते हैं?
एक्सपर्ट ने बताया कि आईवीएफ की मदद से महिला के मेनोपॉज की उम्र तक पैदा हो सकते हैं. महिलाओं का मेनोपॉज आमतौर पर 45 से 50 वर्ष के बीच होता है. इसके बाद आईवीएफ से भी बच्चे पैदा नहीं किए जा सकते हैं. हालांकि जितनी कम उम्र में आईवीएफ प्रोसेस की जाए, सक्सेस रेट उतना ही ज्यादा होता है. 35 और 40 साल की उम्र के बाद आईवीएफ सक्सेसफुल होने की संभावना कम होने लगती है. कुछ मामलों में 40 से अधिक उम्र की महिलाएं प्रेग्नेंसी के लिए डोनर एग्स का ऑप्शन चुन सकती हैं यानी किसी दूसरी महिला के एग्स की मदद से प्रेग्नेंट हो सकती हैं. उम्र न केवल IVF की सफलता दर को प्रभावित करती है, बल्कि मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है.
IVF प्रक्रिया कितनी सफल है?
आईवीएफ प्रक्रिया की सफलता कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जिनमें महिला की उम्र, इनफर्टिलिटी का कारण और प्रयोग किए गए एग्स व स्पर्म की क्वालिटी शामिल है. एक स्टडी के अनुसार 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में 50% आईवीएफ प्रक्रियाओं की वजह से जीवित बच्चा हुआ. इसके अलावा सफलता दर इस आधार पर अलग हो सकती है कि ताजे या फ्रीज किए हुए एग्स का उपयोग किया जाता है. सही आईवीएफ एक्सपर्ट चुनने से भी इस प्रोसेस के सफल होने की उम्मीद ज्यादा हो सकती है. IVF के बेहतर रिजल्ट के लिए सभी मेडिकल जांच कराना और फर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी है.
क्या फेल भी होती है आईवीएफ प्रोसेस?
डॉक्टर की मानें तो बेहतर तकनीक और सभी सावधानियों के बावजूद कई मामलों में आईवीएफ प्रोसेस फेल हो जाती है. इसकी मुख्य वजह एग्स या स्पर्म की खराब क्वालिटी होती है, जिसकी वजह से भ्रूण नहीं बन पाता है. इसके अलावा उम्र भी महत्वपूर्ण फैक्टर होता है, क्योंकि 35 से अधिक उम्र की महिलाओं में एग्स की क्वालिटी कम हो जाती है, जिससे आईवीएफ प्रोसेस फेल हो सकती है. गर्भाशय से जुड़े विकार जैसे कि एंडोमेट्रियम या फाइब्रॉइड में परेशानी से भी संतान सुख में बाधा आ सकती है. भ्रूण में आनुवंशिक असामान्यताएं सफल गर्भावस्था को रोक सकती हैं, जिससे गर्भपात हो सकता है. इसके अलावा तनाव, खराब खानपान या स्मोकिंग जैसे फैक्टर्स भी आईवीएफ के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं.
यह भी पढ़ें- सिर्फ एक चुटकी मसाला मिलाकर पी जाइए पानी, कई बीमारियों से मिलेगी राहत ! एनर्जी से रहेंगे भरपूर
Tags: Health, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 13:05 IST